उपराष्ट्रपति चुनाव: उद्धव और शरद पवार खेमे के सांसदों पर क्रॉस-वोटिंग का आरोप

उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे ने भारतीय राजनीति में नई हलचल मचा दी है।
एनडीए (NDA) उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर बड़ी जीत हासिल की। राधाकृष्णन को 452 वोट मिले, जबकि रेड्डी को महज़ 300 वोट। लेकिन असली चर्चा वोटों से ज्यादा क्रॉस-वोटिंग को लेकर हो रही है।

NDA की एकजुटता बनाम INDIA गठबंधन की कमजोरी

इस चुनाव ने साफ कर दिया कि भले ही INDIA गठबंधन (INDI Alliance) कागजों पर मजबूत दिखता हो, लेकिन वोटिंग के समय उसकी एकजुटता डगमगा जाती है।
कांग्रेस से लेकर शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) तक, विपक्षी दलों में कई सांसदों ने कथित तौर पर NDA उम्मीदवार को समर्थन दिया।

शिवसेना नेता संजय निरुपम ने बड़ा दावा किया कि कुल 16 सांसदों ने विपक्ष से हटकर NDA को वोट दिया, जिनमें से 5 सांसद उद्धव ठाकरे गुट के थे। इतना ही नहीं, शरद पवार की एनसीपी के भी कुछ सांसदों पर NDA का साथ देने का आरोप है।

“अंतरात्मा की आवाज” या पार्टी तोड़फोड़?

क्रॉस-वोटिंग पर एनडीए खेमे ने इसे सांसदों की “अंतरात्मा की आवाज” बताया।
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “कभी-कभी अंतरात्मा की आवाज पार्टी व्हिप से ऊपर हो जाती है।” यानी, विपक्षी खेमे के सांसदों ने दबाव से हटकर अपनी मर्जी से NDA को वोट दिया।

वहीं विपक्षी खेमे के नेता संजय राउत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सत्ता और पैसे के बल पर अधिकतम 10-12 वोट ही खिसकाए जा सकते हैं। उन्होंने NDA पर सौदेबाजी करने का आरोप लगाया, लेकिन यह भी माना कि कुछ वोट विपक्ष से टूटे हैं।

गणित क्या कहता है?

  • कुल सांसद: 781
  • वोट डाले गए: 767
  • वैध वोट: 752
  • अवैध वोट: 15
  • जीत के लिए आवश्यक बहुमत: 377

नतीजों में राधाकृष्णन ने 452 वोट हासिल कर भारी बहुमत से जीत दर्ज की। विपक्षी रेड्डी 300 वोट तक ही सीमित रह गए।

नतीजे का राजनीतिक असर

  1. NDA की मजबूती – एनडीए खेमे ने एकजुट होकर न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि विपक्ष की फूट भी उजागर कर दी।
  2. INDIA गठबंधन की परीक्षा – यह चुनाव 2026 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों की एकता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
  3. शिवसेना और NCP में दरारें गहरी – उद्धव ठाकरे और शरद पवार के गुट अब अपने-अपने सांसदों की “निष्ठा” पर सवाल उठाने को मजबूर हैं।
  4. भविष्य की राजनीति पर असर – एनडीए का दावा है कि यह वोटिंग पैटर्न आगे भी दोहराया जाएगा, यानी बड़ी लड़ाई से पहले विपक्ष और कमजोर हो सकता है।