लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अपने घरों में सोलर पैनल लगाने वाले हजारों उपभोक्ताओं के बिजली बिल में बड़ी गड़बड़ सामने सामने आई है। मार्च में उनके खाते में दिखाई जा रही सोलर यूनिटें (Solar Units) जो उनके खुद के सोलर पैनल से पैदा हुई थीं, उसमें घपला कर दिया गया। ये यूनिटें नियमत: समायोजित करके उपभोक्ताओं का बिल कम किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। नतीजतन, उपभोक्ताओं की लाखों यूनिट बिजली लापता हो गई और उन्हें ज्यादा बिल देना पड़ा।
प्रदेश में तकरीबन 50 हजार उपभोक्ताओं से फर्जीवाड़ा हुआ है। इन दो उपभोक्ताओं के मामले बानगी भर है। उदाहरण के तौर पर रूफटाप सोलर इस्तेमाल करने वाले लखनऊ के विवेक खंड निवासी रूप कुमार शर्मा के मार्च के खाते में 35 सोलर यूनिट शेष थीं। उनके अप्रैल में बिल में इन सोलर यूनिटों का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है। अप्रैल का जब बिल आया तो ये सोलर यूनिट शून्य हो गईं। एवज में जो रकम रूप शर्मा के बिजली बिल में से कम होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। वाराणसी के रमेश गिडवानी के खाते में मार्च 2025 को 201 सोलर यूनिट थीं। 9 अप्रैल को बिल आया तो बकाया यूनिट की जानकारी ही नहीं है। बची 201 यूनिट शून्य दिख रही हैं और एवज की रकम भी बिल से नहीं घटाई गई।
बिजली अफसर भी दबी जुबान से मान रहे गलती
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) की गाजीपुर इकाई के अधिकारियों के मुताबिक उनके यहां इस तरह की तमाम शिकायतें आ रही हैं। वाराणसी की इकाई ने भी इस तरह की समस्याओं के बारे में बताया है। लखनऊ, बाराबंकी, सीतापुर, रायबरेली और अयोध्या के भी नेडा अधिकारी इस बारे में बता रहे हैं।
हालांकि, उनके मुताबिक बिलिंग संबंधी काम से उनका कोई लेना-देना नहीं है। यह काम पावर कॉरपोरेशन का है। वहीं, पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी भी दबी जुबान से इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि बची सोलर यूनिट का समायोजन अप्रैल के बिल में होना चाहिए था पर ऐसा हुआ नहीं है।
पावर कॉरपोरेशन के डायरेक्टर (कॉमर्शियल) निधि कुमार नारंग ने बताया कि मार्च तक बची सोलर यूनिट अप्रैल में जोड़ने का नियम नहीं है। बची यूनिट की रकम अप्रैल बिल में एडजस्ट हो जाती हैं। बिलों की भी जांच जरूरी है क्योंकि जितने किलोवॉट का कनेक्शन है, अधिकतम उतने ही किलोवॉट का कनेक्शन हो सकता है। दावे दुरुस्त हैं तो अगले बिल में रकम समायोजित हो जाएगी।
सोलर पर क्या है नियम
नियम है कि एक अप्रैल से 31 मार्च तक सोलर यूनिट उपभोक्ताओं के खाते में जुड़ती रहती हैं। 31 मार्च को खाते की यूनिट का हिसाब पावर कॉरपोरेशन कर देता है। यह रकम अगले साल अप्रैल में आने वाले बिल में समायोजित कर दी जाती है। हालांकि, उपभोक्ताओं के साथ ऐसा नहीं हुआ। मार्च तक बची हुई सोलर यूनिट तो अप्रैल के बिल में शून्य दिखा रही है, लेकिन उसका हिसाब-किताब अप्रैल के बिल में नहीं हुआ है।
अब पावर कारपोरेशन में जल्द सुनने को मिलेगा सोलर घोटाला…क्वेश द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर का कमाल
अभी तक प्राप्त जानकारी एवं उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर मार्च 2025 सिर्फ चार डिवीजन में….. जिसमें चिनहट डिवीजन के 2067, सीतापुर रोड डिविजन के 940, बीकेटी डिवीजन के 1556 व इंदिरा नगर डिवीजन के 1496…. यह सब मिलाकर 6059 उपभोक्ताओं के 3412281254 यूनिट प्रिंट हो रहा है… यदि इसको रुपया दो से गणना की जाए.. तो ₹ 6822462508.00 मात्र (6 अरब 82 करोड़ 45 लाख 62508 रुपए मात्र) का घोटाला प्रकाश में आ रहा है…
जरा अंदाजा लगाइए कि उक्त अरबो की राशि सिर्फ चार डिवीजन का है तो अंदाजा लगाइए पूरे पावर कॉर्पोरेशन में कितने रुपए का घोटाला प्रकाश में आएगा… इन सब का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ क्वेश द्वारा निर्मित सॉफ्टवेयर है… जिसके कारण सभी डिवीजन के अधिशासी अभियंता उक्त बिल को ठीक करने के लिए नाचे नाचे फिर रहे…




यह सब मिलाकर 6059 उपभोक्ताओं के 3412281254 यूनिट प्रिंट हो रहा है… यदि इसको रुपया दो से गणना की जाए.. तो ₹ 6822462508.00 मात्र (6 अरब 82 करोड़ 45 लाख 62508 रुपए मात्र) का घोटाला प्रकाश में आ रहा है…
जल्दी इस मामले में संपूर्ण पावर कारपोरेशन के डाटा के साथ संभावित घोटाले का पर्दाफाश किया जाएगा…