लखनऊ के फैजुल्लागंज प्रथम वार्ड, शिवनगर में रविवार की शाम एक ऐसी घटना घटी जिसने बिजली विभाग की लापरवाही, जोखिम भरी प्लानिंग और जनता की अनसुनी पुकारों को खुलकर उजागर कर दिया। 12 वर्षीय आर्यन, जो अपने रिश्तेदारों के घर की छत पर खेल रहा था, अचानक ऊपर से गुजर रही 33,000 वोल्ट की हाई-टेंशन लाइन की चपेट में आ गया। बिजली का करंट इतना तेज़ था कि बच्चा 40–50% तक झुलस गया।
यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक ऐसा सच है जो यह बताता है कि शहर के कई इलाकों में लोग रोज़ाना मौत के साये में जी रहे हैं।
हादसा कैसे हुआ? — घटना का पूरा सिलसिलेवार विवरण
- रविवार शाम लगभग 4 बजे आर्यन छत पर खेल रहा था।
- ठीक इसी छत के ऊपर से 33,000 वोल्ट की पुरानी हाई-टेंशन लाइन गुजरती है, जो वर्षों से स्थानीय लोगों के लिए खतरा बनी हुई है।
- खेलते-खेलते आर्यन अचानक करंट की चपेट में आ गया।
- तेज़ झटके से बच्चे के कपड़े और शरीर जलने लगे।
इस दौरान आसपास अफरा-तफरी मच गई।
स्थानीय हीरो ने बचाई जान
पास ही मौजूद निवासी सुधांशु ने जान जोखिम में डालकर बच्चे पर कंबल डालकर आग बुझाई और उसे बचाया।
अगर वह कुछ सेकंड भी देर कर देते, तो नतीजा और भी भयावह हो सकता था।
यह लाइन पहले भी ले चुकी है लोगों की जान – 3 साल में कई हादसे
स्थानीय लोगों के अनुसार:
- पिछले तीन वर्षों में इसी लाइन से दो बड़े हादसे हो चुके हैं
- एक की मौत, कई लोग गंभीर रूप से घायल
- लोग कई बार आवेदन दे चुके हैं कि लाइन को हटाया जाए या भूमिगत किया जाए
- लाइन 20–25 साल से भी अधिक समय से रिहायशी क्षेत्र के ऊपर से गुजर रही है
- दर्जनों मकानों की छतें हाई-टेंशन लाइन से सिर्फ कुछ फीट की दूरी पर हैं
लोगों के मुताबिक यह लाइन “खुली हुई मौत” बनकर पूरे मोहल्ले के सिर पर टंगी हुई है।
घर के अंदर तक बिजली ने मचाई तबाही
आर्यन के हादसे के दौरान:
- पूरे घर की वायरिंग जलकर राख हो गई
- छत पर जगह-जगह करंट से छेद बन गए
- दीवारों पर काले निशान और जले कपड़ों की गंध कई घंटे तक फैलती रही
यह दिखाता है कि 33,000 वोल्ट कितनी भयावह और जानलेवा ताकत रखती है।
अब यूपीपीसीएल से सबसे अहम सवाल — ज़िम्मेदारी कौन लेगा?
❗ 1. 33,000 वोल्ट लाइन के नीचे मकान बनने कैसे दिए गए?
क्या विभाग ने कभी निरीक्षण किया?
क्या मकान मालिकों को खतरे की चेतावनी दी गई?
❗ 2. स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए आवेदन वर्षों से क्यों अनसुने हैं?
❗ 3. इतने हादसों के बाद भी लाइन को शिफ्ट क्यों नहीं किया गया?
❗ 4. बच्चे के इलाज और परिवार को नुकसान का मुआवजा कौन देगा?
निष्कर्ष — यह हादसा नहीं, सिस्टम की नाकामी का उजला प्रमाण
यह पूरी घटना सिर्फ आर्यन के साथ हुआ दुखद हादसा नहीं है।
यह प्रशासन, बिजली विभाग और नियामक प्रणाली की उस सोच का नतीजा है जिसमें:
- खतरे को नज़रअंदाज़ किया जाता है
- शिकायतें कागजों में दब जाती हैं
- मौतें होने के बाद ही कार्रवाई की बात की जाती है
लेकिन सवाल यह है—कितनी और जानें जाने के बाद कार्रवाई होगी?
