उत्तर प्रदेश के हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत और सौगात मिली है। बेसिक शिक्षा परिषद ने अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण की प्रतीक्षित सूची आखिरकार जारी कर दी है। इस सूची के माध्यम से प्रदेश के कुल 7374 शिक्षकों का एक जिले से दूसरे जिले में पारस्परिक सहमति से तबादला किया गया है। अब इन शिक्षकों को 29 मई से लेकर 5 जून 2025 तक अपने नए विद्यालयों में कार्यभार ग्रहण करना होगा। बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल और परिषद के सचिव सुरेंद्र तिवारी की संयुक्त पहल से यह प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ रही है।
पारस्परिक सहमति बनी स्थानांतरण की आधारशिला
इस बार का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण शिक्षकों की आपसी सहमति के आधार पर किया गया है। यानी एक जिले में कार्यरत शिक्षक ने दूसरे जिले के शिक्षक से सहमति के आधार पर तबादला कराया है। यह कदम शिक्षकों की पारिवारिक, सामाजिक और पेशेवर जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। इस प्रक्रिया से कई शिक्षक अपने घर के नजदीकी जिले में सेवा देने का अवसर पा सकेंगे।
मानव संपदा पोर्टल बना पारदर्शिता का माध्यम
तबादला (UP Teachers Transfer) प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बनाए रखने के लिए परिषद ने मानव संपदा पोर्टल (https://interdistricttransfer.upsdc.gov.in) का उपयोग किया है। 28 मई को इस पोर्टल पर अंतर्जनपदीय तबादला सूची सार्वजनिक की गई, जिससे सभी शिक्षकों को समय रहते जानकारी मिल सकी। इसके साथ ही बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वे शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करके नियमानुसार कार्यमुक्त एवं कार्यभार ग्रहण कराएं।
शिक्षकों को राहत, मगर अनुशासनहीनों को नहीं छूट
परिषद ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई चल रही है, उन्हें फिलहाल कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा। केवल वे शिक्षक एवं शिक्षिकाएं जिन्हें नियमित रूप से कार्यरत माना गया है, उन्हें ही तबादले का लाभ दिया जाएगा। इसके अलावा संबंधित जिले के बीएसए को निर्देशित किया गया है कि वे कैडर और पदनाम की सटीकता सुनिश्चित करें।
शिक्षकों में खुशी की लहर, व्यवस्था में भरोसा बढ़ा
इस निर्णय से प्रदेश के प्राथमिक शिक्षकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई है। लंबे समय से तबादले (UP Teachers Transfer) की प्रतीक्षा कर रहे हजारों शिक्षक अब अपने पसंदीदा जिले में जाकर पढ़ा सकेंगे। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत सुविधा को बढ़ाएगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी स्थायित्व लाने का कार्य करेगा। शिक्षा विभाग की इस पारदर्शी पहल को शिक्षक संगठनों और समाज से सराहना मिल रही है।
