निजीकरण के विरोध में 29 मई को कार्य बहिष्कार का स्वरूप बदला… अब राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन…, लेकिन जूनियर इंजीनियर संगठन ने बनाई दूरी

बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ 29 मई को प्रस्तावित अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को स्थगित कर दिया है। हालांकि, वे अपने विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। बुधवार को राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन ने कार्य बहिष्कार से खुद को अलग कर लिया।

आगरा और ग्रेटर नोएडा में सुधार को लेकर ऊर्जा मंत्री द्वारा किया गया दावा तथ्यों से परेः निजीकरण विरोधी आंदोलन में प्रबंधन से किया जाएगा पूर्ण असहयोग किंतु उपभोक्ताओं को नहीं होने दी जाएगी कोई दिक्कत

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने कल वाराणसी में ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा द्वारा निजीकरण के बाद आगरा और ग्रेटर नोएडा में बहुत सुधार हो जाने के दावे को तथ्यों से परे बताते हुए कहा है कि ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण से पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष अरबों रुपए का घाटा हो रहा है और सुधार की बात पूरी तरह गलत है। उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में 29 मई को देश व्यापी विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। 29 मई से बिजली कर्मचारियों का प्रबंधन से पूर्ण असहयोग आंदोलन प्रारंभ हो रहा है।

संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आज यहां बताया कि आगरा में निजीकरण से प्रतिवर्ष लगभग 1000 करोड रुपए का पावर कारपोरेशन को घाटा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पावर कारपोरेशन ने पिछले वर्ष 05 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद कर निजी कंपनी को 04 रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट की दर पर दी। टोरेंट पावर कंपनी को 2300 मिलियन यूनिट बिजली आपूर्ति करने में पावर कारपोरेशन को इस तरह 275 करोड रुपए का घाटा हुआ। आगरा लेदर इंडस्ट्री का सबसे बड़ा केंद्र है और आगरा में पर्यटन उद्योग होने के नाते सबसे अधिक पांच सितारा होटल है। इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कंज्यूमर्स अधिक होने के कारण आगरा में प्रति यूनिट बिजली विक्रय दर 07 रुपए 98 पैसे हैं। निजीकरण के इस प्रयोग में सस्ती बिजली खरीद कर महंगी दरों पर बेचने में टोरेंट पावर कंपनी को प्रतिवर्ष 800 करोड रुपए का मुनाफा हो रहा है। यदि निजीकरण न होता तो यह मुनाफा पावर कारपोरेशन को मिलता। इसके अतिरिक्त महंगी दर पर बिजली खरीद कर टोरेंट पावर कंपनी को सस्ती दर पर देने में 275 करोड रुपए प्रति वर्ष का घाटा भी न होता।

साफ है यदि आगरा का निजीकरण न हुआ होता तो पावर कॉरपोरेशन को कम से कम 1000 करोड रुपए प्रति वर्ष का मुनाफा होता। उन्होंने बताया कि आगरा में निजी कंपनी किसानों को मुक्त बिजली नहीं दे रही है। ग्रेटर नोएडा में भी निजी कंपनी किसानों को मुफ्त बिजली नहीं दे रही है जबकि उत्तर प्रदेश सरकार की किसानों को मुक्त बिजली देने की नीति है। संघर्ष समिति ने कहा कि ग्रेटर नोएडा में यदि बिजली व्यवस्था इतनी अच्छी चल रही है तो उत्तर प्रदेश सरकार ग्रेटर नोएडा की निजी कंपनी का लाइसेंस निरस्त कराने के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा क्यों लड़ रही है? उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्री का आगरा और ग्रेटर नोएडा को लेकर दिया गया बयान तथ्यों से परे है।

संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा निजीकरण के फायदे गिना रहे हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु नियुक्त किए गए ट्रांजैक्शन कंसलटेंट ग्रांट थॉर्टन पर झूठा शपथ पत्र देने और अमेरिका में पेनल्टी के मामले पर ऊर्जा मंत्री कोई बयान क्यों नहीं दे रहे हैं ?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति है। इसके बावजूद पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति में ही भ्रष्टाचार हो रहा है। अर्थात निजीकरण की सारी प्रक्रिया की बुनियाद में ही भ्रष्टाचार है। ऊर्जा मंत्री को इस पर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।

संघर्ष समिति ने बताया कि निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों के समर्थन 29 मई को पूरे देश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर लगभग 27 लाख बिजली कर्मी भोजन अवकाश के दौरान व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे । 29 मई को उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी भी व्यापक विरोध प्रदर्शन कर निजीकरण के प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज करेंगे।

29 मई से प्रारंभ हो रहे हैं आंदोलन के दूसरे चरण में बिजली कर्मचारी और अभियंता प्रबंधन के साथ पूर्ण असहयोग करेंगे । इस दौरान वे प्रबंधन के जन विरोधी और कर्मचारी विरोधी आदेशों का पालन नहीं करेंगे। प्रबंधन की किसी बैठक वीं सी को अटेंड नहीं करेंगे । किंतु बिजली कर्मचारी अपने आंदोलन के दौरान उपभोक्ताओं को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने देंगे । उपभोक्ताओं की सभी समस्याएं अटेंड की जाएगी।

संघर्ष समिति के आवाहन पर आज वाराणसी, आगरा, मेरठ, गोरखपुर, प्रयागराज ,आजमगढ़, बस्ती, मिर्जापुर, देवीपाटन ,अयोध्या, सुल्तानपुर ,बरेली, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर ,मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अलीगढ़, एटा, मथुरा, फिरोजाबाद, बांदा, झांसी ,परीक्षा, हरदुआगंज, जवाहरपुर ,ओबरा, पिपरी ,अनपरा और पनकी में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया।

कार्य बहिष्कार में शामिल नहीं होंगे जूनियर इंजीनियर
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों-अभियन्ताओं का 29 मई को प्रस्तावित अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार स्थगित कर दिया गया है। बिजली कर्मी अलबत्ता अपना व्यापक विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की बैठक के बाद चेयरमैन यूपीपीसीएल को इसकी सूचना दे दी गयी है। 29 मई से प्रबन्धन के साथ पूर्ण असहयोग का निर्णय समिति ने लिया है लेकिन भीषण गर्मी को देखते हुए उपभोक्ताओं को कोई कठिनाई नहीं होने दी जायेगी । पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन की वीसी का अभियन्ताओं द्वारा अनिश्चितकालीन बहिष्कार जारी रहेगा। शासन स्तर पर कार्यबहिष्कार से निपटने को लेकर व्यापक इंतजाम हो रहे थे।

संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि संघर्ष समिति की लखनऊ में हुई मीटिंग में यह निर्णय लिया गया कि बिजली कर्मियों के 181 दिन से चल रहे विरोध के चलते चूंकि प्रबन्धन अभी तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का टेण्डर करने में विफल रहा है अतः भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं को कोई तकलीफ न हो इस दृष्टि से 29 मई से होने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया गया है। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण हेतु कोई टेण्डर नोटिस निकाली गयी तो पूरे प्रदेश के समस्त ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियन्ता बिना और कोई नोटिस दिये उसी समय सीधी कार्यवाही करने हेतु बाध्य होंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन की होगी।संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन ने बिजली कर्मियों के वेतनमान और समयबद्ध वेतनमान में कोई छेड़-छाड़ करने की कोशिश की तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी प्रबन्धन की होगी।

उत्तर प्रदेश की पूर्वांचल और दक्षिणांचल बिजली कम्पनियों के निजीकरण के विरोध में विद्युत कर्मी गुरुवार को कार्य बहिष्कार करेंगे। संघर्ष समिति की अपील पर अभियंता संघ समेत कई अन्य संगठन कार्य बहिष्कार करने को राजी हो गए हैं। बुधवार को राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन ने कार्य बहिष्कार से खुद को अलग कर लिया।

केन्द्रीय महासचिव बलवीर यादव ने अपने बयान में कहा कि भीषण गर्मी में उपभोक्ताओं की समस्याओं को देखते हुए 29 मई से शुरू होने वाले अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार को स्थगित कर दिया गया है। संगठन के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने लखनऊ में बैठक कर यह फैसला लिया। बलवीर का कहना है कि परिस्थितियों पर विचार करने के बाद संगठन ने अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार से खुद को अलग कर लिया है।

अब संगठन 29 मई को सवेरे 10-5 विरोध सभा करेगा। इसके बाद 30 मई से नियमानुसार कार्य आंदोलन एवं असहयोग के साथ रोजाना तीन घंटे दो से पांच बजे तक विरोध सभा होगी। उपभोक्ताओं को कोई परेशानी न हो इसके विद्युत आपूर्ति बाधित होने पर उसे पर तत्काल बहाल किया जाएगा। अस्पताल, रेलवे, पेयजल व ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं में व्यवधान नहीं आने दिया जाएगा। बलवीर ने कहा कि इसके बाद अगर पूर्वांचल वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की टेंडर प्रक्रिया प्रारंभ शुरू की गई तो जूनियर इंजीनियर बगैर सूचना के अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार पर चले जाएंगे। महासचिव ने कहा कि शांतिपूर्ण ध्यान आकर्षण कार्यक्रम के दौरान प्रदेश में किसी भी सदस्य पर कोई भी उत्पीडऩात्मक कार्रवाई की गई तो संगठन कठोर आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा जिसकी जिम्मेदारी प्रबंधन की होगी।