तेल, व्यापार और शेयर बाजार… भारत के लिए क्यों अहम है होर्मुज जलडमरूमध्य? ईरान-इजरायल तनाव के बीच बढ़ी चिंता ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच होर्मुज जलडमरूमध्य एक बार फिर वैश्विक चिंता का केंद्र बन गया है. यह संकरा समुद्री रास्ता दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति की रीढ़ है. भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर पड़ सकता है ।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते संघर्ष ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. इस तनाव के केंद्र में है होर्मुज जलडमरूमध्य एक ऐसा समुद्री रास्ता जो भले ही भारत से हज़ारों किलोमीटर दूर हो, लेकिन उसका असर हर भारतीय के जेब पर पड़ सकता है।
यह जलडमरूमध्य कच्चे तेल, एलएनजी और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के लिए सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है. भारत जो अपनी जरूरत का 85þ से अधिक कच्चा तेल आयात करता है, इस रास्ते से आने वाली आपूर्ति पर अत्यधिक निर्भर है. ऐसे में यहां किसी भी तरह की बाधा या खतरे का सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार और आम आदमी की जेब पर पड़ता है।
होर्मुज़ जलडमरूमध्य उत्तर में ईरान और दक्षिण में ओमान व संयुक्त अरब अमीरात (न्।म्) के बीच स्थित है. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ता है. इसकी चौड़ाई सबसे संकरी जगह पर केवल 34 किलोमीटर है, और उसमें से जहाजों के चलने योग्य मार्ग कुछ किलोमीटर ही है.
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्णदुनिया के लगभग 20þ कच्चे तेल का परिवहन इसी जलडमरूमध्य से होता है. अमेरिका की एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन (म्प्।) के अनुसार, प्रतिदिन करीब 20.9 मिलियन बैरल तेल इस जलमार्ग से गुजरता है, जिसमें से लगभग 83þ एशियाई देशों के लिए होता है. भारत, जो अधिकतर तेल सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत और कतर से आयात करता है, के लिए यह मार्ग बेहद जरूरी है.
भारत पर कैसे पड़ता है असर भारत अपनी जरूरत का लगभग 85þ कच्चा तेल आयात करता है. ऐसे में अगर इस जलडमरूमध्य में किसी प्रकार की सैन्य हलचल, ब्लॉकेज या व्यापारिक अवरोध होता है, तो भारत में तेल के दाम तुरंत बढ़ सकते हैं. इसका सीधा असर पेट्रोल, डीज़ल, एलपीजी की कीमतों पर पड़ता है, जिससे महंगाई बढ़ती है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “कच्चे तेल की कीमतों में $10 की बढ़ोतरी भारत के चालू खाता घाटे को जीडीपी के 0.55þ तक बढ़ा सकती है और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक महंगाई में 0.3þ तक का इजाफा कर सकती है.“
किन सेक्टरों पर होता है प्रभावतेल की कीमतों में बढ़ोतरी से सबसे पहले असर पड़ता है एयरलाइंस, ट्रांसपोर्ट, सीमेंट, पेंट्स और लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर. इसके साथ ही एलएनजी आयात में रुकावट होने से गैस आधारित पावर प्लांट और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर भी नकारात्मक असर पड़ता है । भारत बड़ी मात्रा में कतर से एलएनजी आयात करता है, और यह भी होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर ही आता है. अगर वहां आपूर्ति में बाधा आती है, तो भारत में बिजली उत्पादन और उद्योगों को झटका लग सकता है ।
व्यापार और शिपिंग पर भी संकट गल्फ देशों में भारत का बड़ा निर्यात कारोबार है, जिसमें मशीनरी, कपड़े, आभूषण और केमिकल शामिल हैं. जलडमरूमध्य में कोई भी अवरोध व्यापारिक जहाजों को मजबूर कर सकता है कि वे अन्य मार्ग अपनाएं, जिससे मालभाड़ा बढ़ता है और डिलीवरी में देरी होती है. इसका असर खासतौर पर छोटे निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा पर पड़ता है ।
शेयर बाजार और रुपया कैसे प्रभावित होता है ।
तेल के दामों में तेजी से शेयर बाजार तुरंत प्रतिक्रिया देता है. एयरलाइंस, टायर, ऑटोमोबाइल, पेंट्स जैसे सेक्टरों में गिरावट आती है, जबकि तेल कंपनियां और डिफेंस कंपनियां लाभ में रह सकती हैं.
रुपया भी कमजोर हो सकता है क्योंकि तेल महंगा होने से भारत का आयात बिल बढ़ता है. ऐसे में भारतीय रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है ।
ईरान-इजरायल संघर्ष और होर्मुज संकट
ईरान और इजरायल के बीच जारी मिसाइल और ड्रोन हमलों ने इस जलमार्ग को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ा दी है. अतीत में भी ईरान ने इस जलमार्ग को बंद करने की धमकी दी है, और अब जब संघर्ष और तीव्र हो चुका है, तो इस खतरे को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, “भविष्य में यह देखा जाना बाकी है कि वैश्विक शक्तियां ईरान को इस अहम समुद्री मार्ग को बंद करने से कैसे रोक पाती हैं. लेकिन सिर्फ इस आशंका से ही तेल बाज़ारों में हलचल मच सकती है.“
भारत ने तेहरान में रह रहे भारतीयों के लिए जारी की एडवाइजरी
बढ़ते संघर्ष के बीच भारत सरकार ने तेहरान में रह रहे भारतीय नागरिकों और को जल्द से जल्द शहर छोड़ने की सलाह दी है. ईरान की राजधानी लगातार इजरायली ड्रोन और मिसाइल हमलों के निशाने पर है.
भारतीय दूतावास ने कहा कि जिनके पास साधन हैं वे तुरंत और स्वयं की व्यवस्था से शहर छोड़ दें।