राजधानी लखनऊ में स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर चूक सामने आई है। परिवहन विभाग द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान में 629 स्कूली वाहनों की जांच की गई, जिनमें से 262 वाहन या तो मानकों पर खरे नहीं उतरे या फिर पूरी तरह अनफिट पाए गए। इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
अभियान की मुख्य बातें:
*जांच की अवधि: 2 जुलाई से 7 जुलाई
*कुल स्कूली वाहन जांचे गए: 629
*मानकविहीन वाहन: 155
*पूरी तरह अनफिट वाहन: 107
*कुल कार्रवाई: 262 वाहनों पर
*7 जुलाई को की गई जांच में 14 वाहन सीज
क्या थे वाहन दोष?
➡️ बिना फिटनेस सर्टिफिकेट
➡️ बिना परमिट संचालित
➡️ मानक सुरक्षा उपायों की कमी (सीट बेल्ट, फायर एक्सटिंगुइशर, GPS आदि)
➡️ चालक/सहचालक के सत्यापन में कमी
बच्चों की जान जोखिम में क्यों?
बावजूद इसके कि स्कूलों को पहले ही परिवहन विभाग द्वारा चेतावनी दी जा चुकी थी, फिर भी कई स्कूल प्रबंधन अनफिट और अवैध वाहनों का संचालन करवा रहे हैं। ये वाहन बिना अनुमति, बिना सुरक्षा इंतजाम और बिना परमिट चलाए जा रहे हैं।
लखनऊ में कितने स्कूली वाहन?
*कुल पंजीकृत स्कूली वाहन: 1742
*जांच अभियान जारी: 15 जुलाई तक
*अभी तक करीब 36% वाहनों पर कार्रवाई
अभिभावकों के लिए चेतावनी:
प्रशासन ने अभिभावकों से भी अपील की है कि वे यह सुनिश्चित करें कि जिस वाहन से उनका बच्चा स्कूल जा रहा है—
✅ क्या वह फिटनेस सर्टिफिकेट वाला है?
✅ क्या उसके पास वैध परमिट है?
✅ क्या वह RTO द्वारा तय मानकों पर खरा उतरता है?
अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें।
RTO का क्या कहना है?
“मानकविहीन और अनफिट स्कूली वाहनों पर रोक लगाने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। स्कूल प्रबंधन को भी ऐसे वाहनों के संचालन न करने की चेतावनी दी गई है। यह अभियान 15 जुलाई तक जारी रहेगा।”
— प्रभात पांडेय, RTO प्रवर्तन अधिकारी, लखनऊ
क्या स्कूल प्रशासन जागेगा?
सवाल यह है कि इतने स्पष्ट निर्देशों और कार्रवाई के बाद भी क्या स्कूल प्रबंधनों की जिम्मेदारी तय होगी? क्या लापरवाह स्कूलों के खिलाफ भी कोई सख्त कदम उठाया जाएगा?