“गेट आउट”: महिला सांसद से ADM की कथित अभद्रता पर बवाल

“मैं ऑफिस का मालिक हूं, गेट आउट!” – सांसद इकरा हसन पर ADM का कथित बर्ताव बना बड़ा मुद्दा

सहारनपुर में एक प्रशासनिक अफसर और जनप्रतिनिधि के बीच तीखी बहस ने तूल पकड़ लिया है। कैराना से AIMIM सांसद इकरा हसन ने सहारनपुर के एडीएम संतोष बहादुर सिंह पर अभद्रता और असंसदीय भाषा का प्रयोग करने का गंभीर आरोप लगाया है। दूसरी ओर, एडीएम ने सभी आरोपों को “निराधार और बेबुनियाद” बताते हुए अपना पक्ष सामने रखा है।

🛑 क्या है पूरा मामला?

  • 1 जुलाई 2025 को सांसद इकरा हसन, नगर पंचायत छुटमलपुर की अध्यक्ष के साथ एडीएम संतोष बहादुर सिंह से मिलने उनके कार्यालय पहुँची थीं।
  • सांसद का आरोप है कि एडीएम ने उन्हें मिलने का समय देने के बावजूद:
  • फोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया।
  • कार्यालय में मिलने पर “मैं ऑफिस का मालिक हूं” जैसी भाषा का इस्तेमाल किया।
  • यहां तक कि उन्हें “गेट आउट” तक कह डाला

👩‍⚖️ सांसद इकरा हसन का बयान:

“हम जनप्रतिनिधि हैं। जनता की समस्याओं के समाधान के लिए पहुंची थी, लेकिन एडीएम का व्यवहार अपमानजनक और असहनीय था।
उन्होंने न सिर्फ नगर अध्यक्ष को डांटा, बल्कि मुझे भी दफ्तर से निकलने को कहकर अपमानित किया।
बाद में इसे ‘टंग ऑफ स्लिप’ कहकर टालने की कोशिश की गई।”


🧾 ADM संतोष बहादुर सिंह की सफाई:

  • “मैं फील्ड में था, जैसे ही मुझे सांसद के आने की सूचना मिली, तुरंत कार्यालय पहुंचा।”
  • “सांसद जब पहुंचीं, उन्होंने फोन न उठाने को लेकर सवाल किया, जिस पर मैंने स्थिति स्पष्ट की।”
  • “गेट आउट या ऑफिस का मालिक हूं जैसे शब्द नहीं कहे। सांसद की ओर से लिखित शिकायत भी नहीं दी गई।”
  • “मैं एक लोक सेवक हूं, अपने कर्तव्यों को बखूबी जानता हूं। 

    सांसद का पक्ष एडीएम का पक्ष
    अभद्र भाषा, असम्मानजनक बर्ताव कोई अनुचित शब्द नहीं बोले
    समस्याएं उठाने गई थीं मामला व्यक्तिगत, लिखित शिकायत दें
    “गेट आउट” कहकर निकाला ऐसा कुछ कहा ही नहीं

🧠 विशेषज्ञों की राय:

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय बहुत ज़रूरी होता है। अगर सांसद का आरोप सही है तो यह न सिर्फ लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है, बल्कि एक महिला सांसद के अपमान का मामला भी बनता है। वहीं, अगर एडीएम सही हैं तो बिना सबूत के सार्वजनिक आरोप प्रशासन की साख को नुकसान पहुंचाते हैं।

📢 अब आगे क्या?

  • सांसद की शिकायत पर मुख्यमंत्री कार्यालय या मुख्य सचिव स्तर पर जांच संभव
  • विपक्ष इस मुद्दे को सदन में उठा सकता है
  • लोकसभा स्पीकर और महिला आयोग से भी इस पर संज्ञान लेने की मांग की जा सकती है।