डिजिटल आवाज प्लस विशेष रिपोर्ट
📍 अंतरराष्ट्रीय
संयुक्त राष्ट्र, 31 जुलाई – विश्व राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब फ्रांस के बाद अब कनाडा और माल्टा ने भी फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की घोषणा कर दी। संयुक्त राष्ट्र महासभा की आगामी बैठक में ये देश औपचारिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता देंगे। यह फैसला इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को समाप्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
माल्टा की स्पष्ट प्रतिबद्धता
माल्टा के विदेश मंत्रालय के स्थायी सचिव क्रिस्टोफर कुटाजर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह स्पष्ट किया कि उनका देश लंबे समय से फिलिस्तीनी आत्म-निर्णय का समर्थन करता आया है। उन्होंने कहा,
“हमारा मानना है कि दो-राज्य समाधान को अब व्यवहार में लाना आवश्यक है। इसी कारण माल्टा की सरकार ने फिलिस्तीन को मान्यता देने का सैद्धांतिक निर्णय लिया है।”
प्रधानमंत्री रॉबर्ट अबेला ने फेसबुक पर इस निर्णय को ‘मध्य पूर्व में स्थायी शांति के प्रयास’ का हिस्सा बताया।
कनाडा की शर्तों के साथ सहमति
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने घोषणा की कि उनका देश 23 सितंबर से शुरू होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में यह मान्यता देगा, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
इनमें प्रमुख हैं:
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2026 में फिलिस्तीनी चुनाव होंगे
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हमास की भूमिका नहीं होगी
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फिलिस्तीनी राज्य गैर-सैन्यीकृत रहेगा
कार्नी ने इस फैसले को वैश्विक नेतृत्व और न्याय की दिशा में उठाया गया आवश्यक कदम बताया।
ब्रिटेन और फ्रांस पहले ही कर चुके हैं ऐलान
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी पहले ही फिलिस्तीन को मान्यता देने का ऐलान कर चुके हैं। हालांकि ब्रिटेन ने यह शर्त रखी है कि यदि इज़रायल आठ सप्ताह में युद्धविराम और दीर्घकालिक शांति प्रक्रिया के लिए सहमत हो जाता है, तो वह निर्णय पर पुनर्विचार कर सकता है।
इज़रायल का तीखा विरोध
संयुक्त राष्ट्र में इज़रायल के राजदूत डैनी डैनन ने इन घोषणाओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा,
“जब हमारे नागरिक हमास की सुरंगों में बंधक बने हैं, तब यह मान्यता आतंकवाद को वैधता देने जैसा है। यह खोखले बयान आतंकवादियों को मजबूत करने का काम कर रहे हैं।”
इज़रायल ने अमेरिका के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की इस बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
🔴 नजरिया:
फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले देशों की बढ़ती संख्या से इज़रायल पर वैश्विक दबाव बढ़ा है। यह घटनाक्रम मध्य पूर्व में एक निर्णायक मोड़ का संकेत है। लेकिन क्या यह शांति की ओर कदम बढ़ाएगा या संघर्ष और तेज करेगा – यह आने वाला समय बताएगा।
✍️ रिपोर्ट: डिजिटल आवाज प्लस अंतरराष्ट्रीय डेस्क
📅 प्रकाशन: 31 जुलाई 2025
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