डिजिटल आवाज प्लस विशेष रिपोर्ट
संवाद सूत्र, अजगैवीनाथधाम/भागलपुर।
विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला 2025 अपने अंतिम पड़ाव की ओर अग्रसर है, और बाबा की धरती अजगैवीनाथधाम कांवरियों के उत्साह और भक्ति से सराबोर हो उठी है। गंगाधाम से बाबाधाम तक फैले 105 किलोमीटर के कांवर पथ पर श्रद्धा और भक्ति की एक अलग ही दुनिया देखने को मिल रही है।
✨ चांदी के कांवर से निकली आस्था की गूंज
पटना दरियापुर से आए कांवरिया परदेशी कुमार इस बार भी चर्चा में हैं। वे लगातार 25 वर्षों से चांदी के बने कांवर के साथ इस पवित्र यात्रा में भाग लेते आ रहे हैं। इस बार उन्होंने 14 फीट लंबा और पूर्णतः चांदी का कांवर लेकर बाबा की यात्रा आरंभ की है, जिसकी लागत 10 लाख रुपये से अधिक बताई गई है।
इस भव्य कांवर में मां काली, मां दुर्गा, लक्ष्मी माता, भगवान गणेश, राधा-कृष्ण, शिवलिंग और नागदेवता की कलात्मक मूर्तियां विराजमान हैं। गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर उन्होंने जल संकल्प लिया और फिर जत्थे के साथ देवघर के लिए प्रस्थान किया।
🚩 कांवर में समर्पण की अद्भुत मिसाल
श्रावणी मेले की खास बात यह है कि यहां कांवरिए सिर्फ जल लेकर नहीं, बल्कि अपने बुजुर्गों, बच्चों और परिवार के सदस्यों को कांवर पर बिठाकर भी यात्रा कर रहे हैं। यह सिर्फ एक तीर्थयात्रा नहीं बल्कि संस्कार, श्रद्धा और सेवा की यात्रा बन चुकी है।
🌸 छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला भी बनीं कांवरिया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय ने भी इस बार कांवर यात्रा में भाग लिया। उन्होंने मंगलवार की रात अजगैवीनाथधाम पहुंचकर रात्रि विश्राम किया और बुधवार सुबह नमामि गंगे घाट पर गंगाजल भरकर देवघर के लिए रवाना हुईं। उन्होंने कहा—
“कांवर यात्रा में पद का अहंकार नहीं, श्रद्धा का समर्पण चाहिए। बाबा के दर्शन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।“
उनके साथ दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु भी शामिल रहे।
🛤️ छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री की विशेष पहल
वहीं छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल भी मंगलवार रात महर्षि मेंही विश्रामालय पहुंचे और बुधवार सुबह गंगाजल भरकर बाबाधाम के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा—
“बाबा अजगैवीनाथ और बाबा वैद्यनाथ से राज्य की खुशहाली की प्रार्थना करता हूं। श्रावणी मेला बिहार और झारखंड को जोड़ता है, इसे राष्ट्रीय मेला घोषित करने का प्रयास करूंगा।“
उन्होंने बिलासपुर से अजगैवीनाथधाम के लिए सीधी ट्रेन सेवा शुरू करने की मांग को भी उठाने की बात कही।
📸 श्रावणी मेला में आस्था, कला और संस्कृति का संगम
अजगैवीनाथधाम से लेकर बाबाधाम तक सजी कांवर पथ की रंगीन छटा, श्रद्धालुओं की गूंजती जयघोष और हर-हर महादेव की गूंज इस बात का प्रमाण है कि भक्ति जब समर्पण से जुड़ती है, तब उसका हर कदम एक तीर्थ बन जाता है।
📍 डिजिटल आवाज प्लस के लिए विशेष कवरेज — जय बाबा बैद्यनाथ!
✍️ रिपोर्ट — संवाद सूत्र, भागलपुर