राहुल गांधी के आरोपों को चुनाव आयोग ने किया खारिज, लखनऊ और वाराणसी की मतदाता सूची में नाम नहीं मिले

8 अगस्त 2025 को कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस वार्ता का विषय था:
“The foundation of Constitution is the vote, vote has been destroyed”
(संविधान की बुनियाद वोट है, और वोट को नष्ट कर दिया गया है।)

इस दौरान उन्होंने यह आरोप लगाया कि देश में वोटर लिस्ट में भारी गड़बड़ियाँ हो रही हैं और मतदाता एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करके चुनाव की निष्पक्षता को कमजोर किया जा रहा है।

🔹 आरोप में किन मतदाताओं का जिक्र था?

राहुल गांधी ने दो लोगों के नाम और उनके EPIC (मतदाता पहचान) नंबर सार्वजनिक किए:

-आदित्य श्रीवास्तव पुत्र एसपी श्रीवास्तव

    • EPIC नंबर: FPP6437040

-विशाल सिंह पुत्र महीपाल सिंह

  • EPIC नंबर: INB2722288

उन्होंने दावा किया कि:

  • इन व्यक्तियों के नाम मुंबई, बेंगलुरु, लखनऊ और वाराणसी — चार शहरों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं।
  • आदित्य श्रीवास्तव का नाम तो चार बार दर्ज है।
  • विशाल सिंह का नाम तीन स्थानों पर दर्ज है।

राहुल गांधी ने इसे डुप्लीकेट वोटिंग और चुनावी धोखाधड़ी का उदाहरण बताया और इसे संविधान के खिलाफ बताया।

🔍 जांच: चुनाव आयोग और जिलाधिकारी का जवाब

राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद, चुनाव आयोग और उत्तर प्रदेश के संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों ने तुरंत जांच शुरू की।

🔸 EPIC नंबर के आधार पर सर्च किया गया:

1-आदित्य श्रीवास्तव (FPP6437040):

  • केवल बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र (174), बूथ 458, क्रमांक 1265 पर ही नाम दर्ज मिला।
  • लखनऊ या मुंबई में कोई प्रविष्टि नहीं मिली

2-विशाल सिंह (INB2722288):

  • केवल बेंगलुरु के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र, बूथ 513, क्रमांक 926 पर नाम मिला।
  • वाराणसी या अन्य किसी राज्य में दर्ज नहीं मिला।

✅ निष्कर्ष:

चुनाव आयोग ने आधिकारिक पोर्टल voters.eci.gov.in पर डेटा की पुष्टि की और पाया कि:

  • राहुल गांधी द्वारा दिए गए EPIC नंबर वाले व्यक्तियों के नाम सिर्फ एक ही स्थान पर दर्ज हैं
  • लखनऊ (विधानसभा 173 लखनऊ पूर्व) और वाराणसी (विधानसभा 390 वाराणसी कैंट) की मतदाता सूची में उनके नाम नहीं हैं।

इससे यह सिद्ध हुआ कि राहुल गांधी द्वारा पेश की गई जानकारी गलत या भ्रमित करने वाली थी

 इसका महत्व क्या है?

राजनीतिक असर:

  • यह मामला ऐसे समय सामने आया जब देश में चुनाव व्यवस्था की पारदर्शिता को लेकर बहस चल रही है।
  • विपक्ष लगातार EVM, VVPAT, और वोटर लिस्ट में पारदर्शिता की मांग करता रहा है।
  • राहुल गांधी का यह बयान सरकार और चुनाव आयोग पर सीधा हमला था।

चुनाव आयोग की विश्वसनीयता:

  • चुनाव आयोग ने इस मौके पर तत्काल फैक्ट-चेक करके यह दिखाया कि वह राजनीतिक दावों की निष्पक्ष जांच करने में सक्षम है।
  • इससे आयोग की निष्पक्षता और पारदर्शिता की छवि को बल मिला।

फर्जी मतदाता की वास्तविकता:

  • हालांकि भारत जैसे बड़े देश में मतदाता सूची में कभी-कभी डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ पाई जाती हैं,
  • लेकिन इस मामले में प्रेस कांफ्रेंस में जिन लोगों का नाम लिया गया, वे यूपी की लिस्ट में मौजूद नहीं थे, यह एक गंभीर तथ्य है।