जेसी बोस यूनिवर्सिटी हॉस्टल में छात्रा की आत्महत्या: रक्षाबंधन के दिन फंदे से लटकी मिली इंजीनियरिंग स्टूडेंट

हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ स्थित जेसी बोस यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के गर्ल्स हॉस्टल में रक्षाबंधन के दिन एक दर्दनाक घटना ने सभी को हिला कर रख दिया। यूनिवर्सिटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में पढ़ने वाली 22 वर्षीय वंशिका का शव उसके हॉस्टल के कमरे में फांसी के फंदे से लटका मिला। वंशिका मूल रूप से रेवाड़ी जिले की रहने वाली थी और अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।

पुलिस के मुताबिक, शनिवार को रक्षाबंधन के अवसर पर वंशिका अपने हॉस्टल में अकेली थी। देर रात या सुबह के समय के बीच किसी वक्त उसने कमरे में फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। अगले दिन यानी रविवार को जब यह घटना सामने आई, तो यूनिवर्सिटी कैंपस में अफरा-तफरी मच गई। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बीके अस्पताल भेज दिया गया।

पुलिस ने बताया कि घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, जिससे आत्महत्या के पीछे की वजह अभी स्पष्ट नहीं है। फिलहाल पुलिस ने कमरे की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी है और यूनिवर्सिटी स्टाफ, छात्रा के दोस्तों व सहपाठियों से पूछताछ की जा रही है। जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि कहीं छात्रा मानसिक तनाव, पढ़ाई के दबाव, व्यक्तिगत समस्या या किसी अन्य कारण से तो परेशान नहीं थी।

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस घटना पर गहरा शोक जताया है और कहा है कि वे पुलिस जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे।

पिछली घटना की यादें ताज़ा

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब अभी एक महीने पहले ही शारदा यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा में भी एक छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया था। वहां ज्योति शर्मा, जो बीडीएस सेकेंड ईयर की छात्रा थी और गुरुग्राम की रहने वाली थी, ने 18 जुलाई को अपने हॉस्टल रूम में पंखे से लटककर जान दे दी थी।
ज्योति ने अपने सुसाइड नोट में यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए थे। इस मामले में डीन समेत सात लोगों को नामजद किया गया था, जिनमें से दो प्रोफेसरों को गिरफ्तार किया गया और सभी को सस्पेंड कर दिया गया।

मानसिक स्वास्थ्य और हॉस्टल सुरक्षा पर सवाल

इन दोनों घटनाओं ने एक बार फिर से यूनिवर्सिटी हॉस्टल में छात्रों की मानसिक स्थिति, सपोर्ट सिस्टम और सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों को समय-समय पर मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग, स्ट्रेस मैनेजमेंट और हेल्पलाइन सपोर्ट उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है, ताकि वे किसी भी कठिन परिस्थिति में अकेला महसूस न करें।

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