महिला छात्रावास बना बिना रास्ते के, सालभर से छात्राएं परेशान

कौशांबी जिले के सिराथू स्थित राजकीय बालिका इंटर कॉलेज परिसर में करीब ढाई करोड़ रुपये की लागत से एक आधुनिक महिला छात्रावास बनाया गया था। इसका उद्देश्य था कि दूर-दराज़ से पढ़ाई करने आने वाली छात्राओं को सुरक्षित आवास और भोजन की सुविधा मिल सके, ताकि उन्हें रोजाना घर से आने-जाने में परेशानी न हो।

हॉस्टल में 100 छात्राओं के रहने की क्षमता है और इसके लिए वार्डन, चौकीदार और रसोइयों की भी नियुक्ति की गई। वर्तमान में विभागीय रिकॉर्ड के अनुसार 19 छात्राएं यहां रह रही हैं और उन्हें कॉलेज की प्रधानाचार्य पुष्पा देवी समेत पांच शिक्षक पढ़ाई में मदद करते हैं।

लेकिन हकीकत में इस छात्रावास तक पहुंचना ही एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि मुख्य सड़क से हॉस्टल तक कोई पक्का रास्ता ही नहीं है। चारों तरफ जलभराव, झाड़ियां और कीचड़ होने से छात्राओं और स्टाफ को आने-जाने में दिक्कत होती है। बारिश के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है।

स्थानीय समाजसेवी विनय पांडेय, राजू केसरवानी और अनूप जायसवाल का कहना है कि छात्रावास का निर्माण सिराथू की बजाय मंझनपुर में होना चाहिए था, जहां पहले से ही पढ़ाई और प्रशिक्षण की बेहतर सुविधाएं मौजूद हैं। मंझनपुर में महामाया डिग्री कॉलेज, कौशल विकास केंद्र, डायट और कई अन्य संस्थान हैं, जिससे हॉस्टल की छात्राओं को ज्यादा अवसर मिल सकते थे।

डीआईओएस राजेश कुमार सिंह ने बताया कि बरसात के बाद परिसर की इंटरलॉकिंग का काम शुरू किया जाएगा, जिससे आने-जाने की समस्या काफी हद तक हल हो जाएगी।

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