कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा राजद नेता तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ आज अपने दूसरे दिन में प्रवेश कर गई है। सोमवार को यह यात्रा औरंगाबाद जिले के प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर से शुरू हुई। यहां से यह अम्बा और कुटुंबा क्षेत्रों से गुजरते हुए रफीगंज पहुँचेगी। शाम तक दोनों नेता गया जिले के गुरारू पहुँचकर खलीस पार्क में आयोजित जनसभा को संबोधित करेंगे और वहीं रात्रि विश्राम भी करेंगे।
फिलहाल यह यात्रा पैदल मार्च के बजाय वाहन रैली के रूप में की जा रही है, लेकिन इसके बावजूद राहुल गांधी और तेजस्वी यादव लगातार स्थानीय नागरिकों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं और उनकी समस्याएँ सुन रहे हैं।
🔴 राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
यात्रा के पहले दिन रविवार को सासाराम में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि देश में एक “बड़ा चुनावी घोटाला” चल रहा है और करोड़ों लोगों के संवैधानिक अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनसे मिलने वाले कई लोगों ने शिकायत की है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं।
इन आरोपों पर चुनाव आयोग ने तत्काल प्रतिक्रिया दी। आयोग ने राहुल गांधी को 7 दिन का समय दिया है कि वे या तो अपने आरोपों के समर्थन में शपथपत्र और ठोस सबूत पेश करें या फिर सार्वजनिक तौर पर माफी माँगें। आयोग ने स्पष्ट कहा कि अगर सबूत नहीं दिए गए तो इन आरोपों को बेहद गंभीर लेकिन निराधार माना जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी दोहराया कि मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सभी पक्षों की सहभागिता से की जाती है, इसलिए “वोट चोरी” और “दोहरे मतदान” जैसे आरोप निराधार हैं।
🚩 यात्रा की पृष्ठभूमि और लक्ष्य
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने शनिवार (17 अगस्त 2025) को सासाराम से इस यात्रा की शुरुआत की थी। यह यात्रा करीब 16 दिनों तक चलेगी और 20 से अधिक जिलों को कवर करते हुए 1,300 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करेगी।
1 सितंबर को पटना में एक विशाल रैली के साथ इस यात्रा का समापन होगा, जिसमें INDIA गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल होंगे। इस रैली को आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष की ताकत के बड़े प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
👉 कुल मिलाकर, ‘वोटर अधिकार यात्रा’ सिर्फ चुनावी अभियान नहीं बल्कि मतदाता अधिकारों और चुनावी पारदर्शिता को लेकर विपक्ष द्वारा चलाया गया एक बड़ा जनांदोलन बनता दिख रहा है।
