भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह फैसला सिर्फ एक नाम का बदलाव नहीं है, बल्कि भाजपा की राजनीतिक रणनीति में एक अहम और गहरा परिवर्तन दर्शाता है।
धनखड़ और राधाकृष्णन की शैली में बड़ा फर्क
जगदीप धनखड़ की पहचान एक उग्र वकील और मुखर राजनेता के तौर पर रही है। बंगाल के राज्यपाल रहते हुए उनका कई बार ममता बनर्जी सरकार से सीधा टकराव हुआ। यही टकराव वाली छवि उन्हें भाजपा के लिए उपयोगी साबित हुई और उन्हें उपराष्ट्रपति बनाया गया। लेकिन, उपराष्ट्रपति बनने के बाद भी विपक्ष ने उन पर लगातार निष्पक्ष न होने का आरोप लगाया। इससे राज्यसभा जैसे ऊपरी सदन में टकराव और बढ़ा।
इसके उलट, सीपी राधाकृष्णन एक सौम्य, शांत और समावेशी छवि वाले नेता माने जाते हैं। उनकी राजनीतिक शैली बातचीत और संतुलन पर आधारित है। यही कारण है कि भाजपा को लगता है कि वे उच्च सदन में विपक्ष के साथ बेहतर तालमेल बिठा सकते हैं।
भाजपा की दक्षिण भारत में मजबूती की कोशिश
राधाकृष्णन का ताल्लुक तमिलनाडु से है और वे ओबीसी वर्ग से आते हैं। भाजपा लंबे समय से दक्षिण भारत में अपनी जड़ें मजबूत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक कर्नाटक को छोड़कर उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली है। तमिलनाडु में आने वाले डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राधाकृष्णन का नाम भाजपा की “साउथ स्ट्रैटेजी” के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
उनका ओबीसी पृष्ठभूमि से आना भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूती देता है। साथ ही, राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही आरएसएस से जुड़े हुए हैं और पार्टी और संघ की विचारधारा के प्रबल समर्थक माने जाते हैं।
विपक्ष के लिए कठिनाई
धनखड़ की तरह राधाकृष्णन विवादित या टकरावपूर्ण छवि वाले नेता नहीं हैं। उनकी सौम्यता और समावेशी छवि के कारण विपक्षी पार्टियां भी उनके नाम का मुखर विरोध नहीं कर पाएंगी। इससे भाजपा को राज्यसभा में एक ऐसे चेयरपर्सन का फायदा मिलेगा जो विपक्ष के सामने ज्यादा स्वीकार्य हो।
निष्कर्ष
भाजपा ने धनखड़ जैसे टकराव वाली शैली वाले उपराष्ट्रपति की जगह राधाकृष्णन जैसे सौम्य, संतुलित और दक्षिण भारत से आने वाले नेता को चुना है। यह कदम एक ओर दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने का प्रयास है, तो दूसरी ओर राज्यसभा में संतुलन और सौहार्द बनाए रखने की रणनीति भी है।
👉 सरल शब्दों में: भाजपा अब टकराव की बजाय संवाद और संतुलन की राजनीति पर जोर देती दिख रही है, और सीपी राधाकृष्णन इस नए राजनीतिक संदेश का चेहरा होंगे।
