राजधानी में सोशल मीडिया के नाम पर की जा रही अवैध ‘स्टिंग पत्रकारिता’ का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। गोमतीनगर इलाके में एक यूट्यूबर पर आरोप है कि उसने खुद को पत्रकार बताकर सरकारी प्राथमिक विद्यालय में बिना अनुमति प्रवेश किया, महिला शिक्षिका का वीडियो बनाया, उसे एडिट कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया और फिर वीडियो हटाने के बदले 1.50 लाख रुपये की मांग की। पीड़ित शिक्षिका की शिकायत पर पुलिस ने आईटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
पीड़िता नम्रता सिंह, जो गोमतीनगर स्थित प्राथमिक विद्यालय राम आसरे पुरवा में सहायक अध्यापक हैं, के अनुसार 8 दिसंबर की दोपहर करीब 2:40 बजे एक युवती अपने कैमरामैन के साथ स्कूल परिसर में दाखिल हुई। उसने खुद को पत्रकार बताते हुए स्कूल प्रशासन पर रौब जमाया और बिना किसी लिखित अनुमति के वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।
शिक्षिका का आरोप है कि यूट्यूबर का उद्देश्य विद्यालय और शिक्षण व्यवस्था में कमियां दिखाना था। जब कक्षाओं और स्कूल के भीतर कोई अनियमितता नहीं मिली, तो स्कूल की छुट्टी के बाद बाहर बच्चों से झूठे बयान दिलवाकर वीडियो बनाया गया।
एडिट कर सोशल मीडिया पर डाला वीडियो
अगले दिन यानी 9 दिसंबर को शिक्षिका को पता चला कि उनका वीडियो तोड़-मरोड़ कर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर दिया गया है। वीडियो में तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया गया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा।
जब शिक्षिका ने वीडियो हटाने की मांग की, तो यूट्यूब चैनल की टीम के एक सदस्य ने उनसे संपर्क किया।
वीडियो हटाने के बदले मांगे 1.50 लाख
शिक्षिका के मुताबिक, फोन पर बात करने वाले व्यक्ति ने साफ तौर पर कहा कि अगर वीडियो हटवाना है तो 1.50 लाख रुपये देने होंगे। रुपये न होने की बात कहने पर वीडियो को और ज्यादा फैलाने की धमकी दी गई। इसके बाद शिक्षिका का नंबर भी ब्लॉक कर दिया गया।
बाद में स्कूल में तैनात एक अनुदेशक के मोबाइल से संपर्क किया गया, लेकिन वहां भी पैसे की मांग दोहराई गई। इससे शिक्षिका मानसिक तनाव में आ गईं।
ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न का आरोप
पूरे मामले से आहत शिक्षिका ने गोमतीनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस जांच में प्रथम दृष्टया ब्लैकमेलिंग और आईटी एक्ट के उल्लंघन के तथ्य सामने आए, जिसके बाद यूट्यूब चैनल ‘द जेस्टर जोन’ की संचालिका प्रियांशी पांडेय के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
पुलिस क्या कह रही है
थाना प्रभारी ब्रजेश चंद्र तिवारी ने बताया कि मामले से जुड़े सभी डिजिटल साक्ष्य, कॉल डिटेल और वीडियो कंटेंट की जांच की जा रही है। आरोपियों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और तथ्यों के आधार पर आगे की सख्त कार्रवाई होगी।
सोशल मीडिया ‘स्टिंग’ पर बड़ा सवाल
यह घटना सोशल मीडिया पर बढ़ती फर्जी पत्रकारिता और जबरन वसूली की प्रवृत्ति को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना अनुमति वीडियो बनाना, उसे एडिट कर बदनाम करना और पैसे मांगना गंभीर आपराधिक कृत्य है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगा सकती है।
आवाज़ प्लस विशेष रिपोर्ट
