प्रदेश में बिजली विभाग स्मार्ट मीटर लगाने की आड़ में उपभोक्ताओं से 10 साल में ₹25,000 तक वसूलने की तैयारी कर रहा है।
खास बात: यह राशि अलग से नहीं दिखाई जाएगी, बल्कि हर महीने के बिजली बिल में “टैरिफ हेड” के नाम पर जोड़ दी जाएगी, जिससे उपभोक्ता को पता ही नहीं चलेगा कि बिल में मीटर की कीमत शामिल की गई है।
🔎 उपभोक्ताओं की आपत्तियाँ
- बिल में छुपी हुई वसूली उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
- उपभोक्ता की मर्जी और सहमति के बिना इतनी बड़ी रकम जोड़ना एकतरफा और अनुचित है।
- बिजली विभाग के इस कदम के खिलाफ जन-सुनवाई आयोजित की जाएगी:
- इंदौर: 11 फरवरी
- जबलपुर: 13 फरवरी
- भोपाल: 14 फरवरी
⚖️ कानूनी बिंदु
- Electricity Act, 2003: बिना पारदर्शिता उपभोक्ता से अतिरिक्त शुल्क वसूलना अवैध है।
- Consumer Protection Act: इसे “अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस” माना जा सकता है क्योंकि उपभोक्ताओं को पूरी जानकारी नहीं दी गई।
- सार्वजनिक सेवा सुधार या नए उपकरण की लागत सरकार या वितरण कंपनी को वहन करनी चाहिए, न कि उपभोक्ता पर छुपा कर डाली जाए।
- उपभोक्ताओं को ERC (Electricity Regulatory Commission) और उपभोक्ता अदालत में चुनौती देने का अधिकार है।
✅ निष्कर्ष:
स्मार्ट मीटर लगाने की आड़ में बिल में छिपी वसूली उपभोक्ताओं के लिए गंभीर वित्तीय बोझ बन सकती है। पारदर्शिता और सहमति के बिना इस तरह का शुल्क वसूलना न केवल अवैध है, बल्कि उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन भी है।