उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग में लापरवाही के मामले सामने आए हैं, जो उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान में लगातार खलल डाल रहे हैं। UPPCL की 1912 टोल फ्री शिकायत सेवा पर निगरानी अभियान चलाया गया, जिसमें यह जांच की गई कि अधिकारियों ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का सही तरीके से सत्यापन किया या नहीं। अभियान के दौरान यह खुलासा हुआ कि 16 अधिकारी ऐसे हैं जिन्होंने 10 दिनों तक एक भी उपभोक्ता से संपर्क नहीं किया और 8,474 शिकायतों का सत्यापन करने का लक्ष्य पूरा नहीं किया।
अभियान का विवरण:
25 अगस्त से 4 सितंबर तक झांसी मंडल के 59 अधिकारियों को सत्यापन कार्य में लगाया गया। इस दौरान विभिन्न जिलों में कुल 8,474 शिकायतों का सत्यापन किया जाना था। शिकायतों में बिजली आपूर्ति बाधित होना, ट्रांसफार्मर खराब होना, बिलिंग गड़बड़ी, मीटर संबंधी दिक्कतें और नए कनेक्शन की समस्याएं शामिल थीं।
लापरवाह अफसरों की सूची और जिम्मेदारी:
16 अधिकारी पूरी तरह दोषी पाए गए, जिनमें उपखंड अधिकारी मोंठ, अधिशासी अभियंता ललितपुर ग्रामीण, उपखंड अधिकारी नझाई ललितपुर, उपखंड अधिकारी माधोगढ़ उरई, अधिशासी अभियंता झांसी शहर, सहायक अभियंता टेस्ट ललितपुर और अन्य शामिल हैं। हर अधिकारी को कम से कम 10 शिकायतों का सत्यापन करना अनिवार्य था, लेकिन इन अधिकारियों ने एक भी कॉल नहीं किया।
कड़ी कार्रवाई का ऐलान:
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक नितीश कुमार ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए संबंधित अफसरों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं। मुख्य अभियंता केपी खान ने कहा कि दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है और अगर संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिला तो कठोर कार्रवाई की जाएगी।
