लखनऊ के काकोरी इलाके के टिकैतगंज में गुरुवार शाम करीब 7 बजे हुआ रोडवेज बस हादसा अब पूरे इलाके में चर्चा का विषय है। प्रत्यक्षदर्शियों और जांच के शुरुआती निष्कर्षों के मुताबिक, इस दर्दनाक दुर्घटना की तीन मुख्य वजहें सामने आई हैं—बस की तेज रफ्तार, सड़क पर अंधेरा और पानी डाल रहा ट्रैक्टर-टैंकर।
🚍 कैसे हुआ हादसा?
- तेज रफ्तार: चश्मदीदों का कहना है कि कैसरबाग डिपो की रोडवेज बस की रफ्तार 80-90 किमी प्रति घंटा थी। चालक नियंत्रण खो बैठा।
- अंधेरा: जहां हादसा हुआ, उस हाईवे पर स्ट्रीट लाइट नहीं थी। अगर रोशनी होती तो टकराव टल सकता था।
- रोड़ा (टैंकर): सड़क किनारे पौधों में पानी डाल रहा टैंकर खड़ा था, जिसमें रिफ्लेक्टर नहीं लगा था। अंधेरे में बस चालक उसे देख ही नहीं पाया।
बस ने पहले टैंकर और आसपास खड़े लोगों को रौंद दिया और फिर लगभग 8 बार पलटते हुए खाई में जा गिरी।
👀 प्रत्यक्षदर्शियों की आंखों-देखी
- ग्रामीणों ने बताया कि टक्कर इतनी जोरदार थी कि ऐसा लगा जैसे कोई धमाका हुआ हो।
- हादसे के वक्त टैंकर के पास मजदूर काम कर रहे थे और दो बाइक सवार भी खड़े थे।
- गांव वाले मौके पर पहुंचे तो देखा कि बस खाई में उलटी पड़ी है और चीख-पुकार मची हुई है।
⚠️ अगर ये इंतज़ाम होते तो बच सकती थीं जानें
- रेलिंग: हाईवे पर रेलिंग नहीं लगी थी। अगर होती तो बस सीधे खाई में गिरने के बजाय रेलिंग से टकराकर रुक जाती।
- रिफ्लेक्टर: टैंकर पर रिफ्लेक्टर नहीं था। अगर होता तो बस की हेडलाइट पड़ते ही वह दूर से चमक जाता और चालक को खतरे का अंदाज़ा हो जाता।
🏥 घायलों और मुआवजा
- हादसे में अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
- परिवहन विभाग ने कहा है कि घायलों को आर्थिक सहायता दी जाएगी:
- साधारण घायल – ₹10,000
- गंभीर घायल – ₹25,000
- घायलों की लिस्ट में लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, रायबरेली सहित कई जिलों के लोग शामिल हैं।
❓ जांच में विरोधाभास
बस चालक, परिचालक और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान अलग-अलग हैं। परिवहन विभाग का कहना है कि जांच पूरी होने के बाद ही वास्तविक वजह साफ होगी।