लखनऊ में किसानों का गुस्सा: बछड़े की मौत पर नगर निगम मुख्यालय पर तालाबंदी, कामकाज ठप – सड़कों पर उतरे धरनार्ती किसान

लखनऊ में सोमवार को किसानों का गुस्सा अचानक फूट पड़ा जब नगर निगम की कार्रवाई के दौरान एक साल के बछड़े की मौत हो गई। घटना के बाद किसानों ने नगर निगम मुख्यालय को घेर लिया और उसके सभी गेटों पर ताला जड़ दिया। इस दौरान निगम का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया और शहर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

घटना कैसे शुरू हुई?

11 सितंबर को नगर निगम की टीम लालजी टंडन वार्ड, बरावन कला (दुबग्गा) पहुंची थी। वहां अवैध रूप से घूम रहे मवेशियों को पकड़ने की कार्रवाई की जा रही थी। किसानों का आरोप है कि निगम कर्मियों ने मवेशियों को बेरहमी से पीटा, जिसके चलते एक साल के बछड़े की मौके पर ही मौत हो गई।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के जिला अध्यक्ष आलोक वर्मा ने इसे “गोकशी जैसा अमानवीय कृत्य” करार देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने और पकड़े गए मवेशियों को बिना किसी जुर्माने के छोड़ने की मांग की।

तालाबंदी और विरोध प्रदर्शन

दोपहर करीब 1 बजे बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर नगर निगम मुख्यालय पहुंचे। गुस्साए किसानों ने न सिर्फ मुख्य गेट बल्कि अन्य सभी प्रवेश द्वारों पर भी ताला जड़ दिया। दोपहर तीन बजे तक कोई कार्रवाई न होने पर किसानों ने विधान भवन की ओर कूच कर दिया।

पुलिस ने उन्हें दारुलशफा विधायक निवास के पास घेरकर रोक लिया। इसके बाद किसान सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। मौके पर अफसर पहुंचे और किसानों को दो दिन के भीतर मवेशियों को छोड़ने और आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। हालांकि किसान शांत तो हुए लेकिन उन्होंने निगम मुख्यालय पर धरना जारी रखा।

नगर निगम का कामकाज ठप

तालाबंदी की वजह से निगम के दफ्तर का सारा कामकाज रुक गया। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, भवन कर, और अन्य जरूरी कार्यों के लिए आए लोग बैरंग लौट गए। कई कर्मचारी भी अंदर फंसे रहे।

यातायात पर असर

लालबाग के पास किसानों ने आधी सड़क घेर ली थी, जिससे घंटों तक लंबा जाम लगा रहा। इस जाम का एक कारण निगम परिसर के बाहर अव्यवस्थित खड़े वाहन भी रहे। स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि निगम में तैनात पूर्व सैनिक गार्ड व्यवस्था बनाने में कोई रुचि नहीं ले रहे थे।

मौके पर भोजन बनाकर खाया

किसान पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने अपने साथ भोजन बनाने का इंतजाम किया हुआ था। अंगीठी जलाकर तहरी पकाई गई और वहीं सभी किसानों ने सामूहिक रूप से भोजन किया। भोजन करने के बाद वे फिर विधान भवन की ओर बढ़े।

निष्कर्ष

लखनऊ की यह घटना इस बात का प्रतीक है कि किसान वर्ग अब अपनी आवाज बुलंद करने के लिए बड़े से बड़ा कदम उठाने से पीछे नहीं हट रहा। एक बछड़े की मौत को गोकशी मानते हुए किसानों ने जिस तरह नगर निगम को तालाबंद कर दिया, उसने न सिर्फ प्रशासन को हिला दिया बल्कि यह संदेश भी दिया कि पशु अधिकारों और किसानों की अस्मिता से जुड़े मुद्दे पर अब कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं है।

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