बिहार में महागठबंधन के सामने अब चुनावी चुनौती बढ़ती नजर आ रही है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस बार पूरे जोर-शोर से ‘वोट चोरी’ का मुद्दा उठाया है और इसे उन्होंने अपने चुनावी हथियार के रूप में पेश किया है। उन्होंने इसे लेकर बड़े “हाइड्रोजन बम” सबूत का दावा किया है, जो जल्द सार्वजनिक करने की बात कही जा रही है। इससे पहले उन्होंने इसे “एटम बम” की संज्ञा दी थी।
राहुल का आरोप और रणनीति
- राहुल गांधी का कहना है कि वोटर लिस्ट में हेरफेर कर चुनाव परिणाम प्रभावित किए जा रहे हैं।
- उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कर्नाटक की एक सीट पर वोट हटाए गए, जबकि महाराष्ट्र की एक सीट पर फर्जी तरीके से जोड़े गए।
- हालाँकि, उन्होंने अभी तक चुनाव आयोग में औपचारिक शिकायत नहीं दी है।
महागठबंधन के भीतर बेचैनी
- राजद के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव बेरोजगारी, पलायन, अपराध और सरकारी सेवाओं की बदहाली जैसे जनता के सीधे मुद्दों पर चुनावी अभियान चला रहे हैं।
- इसके विपरीत राहुल गांधी बार-बार सिर्फ वोट चोरी की बात उठा रहे हैं। इससे संदेश जनता के वास्तविक सरोकारों से हटकर एकतरफा लग रहा है।
- कांग्रेस के कुछ नेता भी डर जताते हैं कि यह रणनीति चुनावी नुकसान या लोकतंत्र की साख पर सवाल खड़ा कर सकती है।
जमीनी स्तर पर असर
- वोट वाइब बिहार इलेक्शन 2025 सर्वे के अनुसार, केवल 21% लोग SIR प्रक्रिया और वोट चोरी को बड़ा मुद्दा मानते हैं।
- जबकि बेरोजगारी को 32% लोग सबसे अहम मुद्दा मानते हैं।
- इसका मतलब है कि जनता की प्राथमिकताओं में वोट चोरी शीर्ष मुद्दा नहीं है।
बड़ा दांव या खतरा?
- विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी ने अपनी पूरी ताकत वोट चोरी के आरोपों पर केंद्रित कर दी है।
- अगर यह मुद्दा जनता के बीच असरदार साबित नहीं हुआ, तो इसका खामियाजा महागठबंधन को भुगतना पड़ सकता है।
- विपक्षी गठबंधन ने हाल के महीनों में चुनावी गति पकड़ ली थी, अब यह देखना बाकी है कि राहुल गांधी का “हाइड्रोजन बम” वास्तव में बीजेपी को झटका देता है या महागठबंधन के लिए भारी पड़ जाता है।
