मायावती की रैली से पहले अखिलेश की चाल: आज़म खान से मुलाकात से सपा की रणनीति क्या है?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में अक्टूबर का महीना बेहद गर्म होता दिख रहा है। एक तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर को लखनऊ में अपनी मेगा रैली से राजनीतिक ताकत दिखाने की तैयारी कर रही हैं, वहीं उससे ठीक एक दिन पहले यानी 8 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर जाएंगे। वहां वे पार्टी के कद्दावर और विवादों में घिरे नेता आज़म खान से मुलाकात करेंगे।

🔹 अखिलेश का दौरा – संयोग या रणनीति?

  • अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को प्राइवेट जेट से बरेली पहुंचेंगे और फिर सड़क मार्ग से रामपुर जाएंगे।
  • वे लगभग एक घंटे तक आज़म खान के घर रहेंगे और उसके बाद लखनऊ लौट आएंगे।
  • यह दौरा मायावती की रैली से ठीक पहले तय किया गया है, जिसे सपा की राजनीतिक रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

🔹 क्यों अहम है यह मुलाकात?

  1. आज़म खान का जनाधार: रामपुर और आसपास के मुस्लिम वोटरों पर आज़म खान का गहरा असर है।
  2. संदेश: मुलाकात से सपा यह संदेश देना चाहती है कि आज़म खान पार्टी में अब भी सम्मानित और केंद्रीय नेता हैं।
  3. बीएसपी को रोकना: कयास लगाए जा रहे थे कि आज़म खान कहीं मायावती के खेमे में न जाएं। अखिलेश की मुलाकात इस संभावना पर विराम लगाने की कोशिश मानी जा रही है।
  4. 2027 की तैयारी: मुस्लिम वोट बैंक को सपा के साथ मज़बूती से जोड़ने की कवायद है।

🔹 आज़म खान की स्थिति

  • हाल ही में सितापुर जेल से रिहा हुए।
  • उन पर भूमि कब्ज़ा, भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक मामले दर्ज हैं।
  • उन्होंने साफ कहा कि वे सपा के साथ हैं और बीएसपी में शामिल नहीं होंगे
  • खुद को “वरिष्ठ नेता नहीं, बल्कि सेवक” बताकर उन्होंने एक नम्र छवि पेश करने की कोशिश की है।

🔹 राजनीतिक संदेश

  • सपा के लिए: आज़म खान की मौजूदगी मुस्लिम वोटरों को सपा से जोड़े रखने में अहम है।
  • बीएसपी के लिए: अखिलेश की यह चाल मायावती की रैली की चमक कम करने का प्रयास भी हो सकती है।
  • बीजेपी के लिए: मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण को लेकर भाजपा की रणनीति पर भी असर पड़ सकता है।

✅ कुल मिलाकर, अखिलेश यादव का यह दौरा केवल औपचारिक मुलाकात नहीं है, बल्कि यह सपा की राजनीतिक बैलेंसिंग और बीएसपी के मेगा शो से पहले प्री-एंप्टिव मूव भी है।