लद्दाख में स्टेटहुड और संवैधानिक सुरक्षा को लेकर चल रहे आंदोलन ने पिछले दिनों हिंसक रूप ले लिया, जिसमें चार लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए। इस पूरे घटनाक्रम के केंद्र में रहे पर्यावरण और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक को प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल की हाई-सिक्योरिटी वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। अब उन पर 24 घंटे CCTV से नजर रखी जाएगी।
गिरफ्तारी और शिफ्टिंग
शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की योजना से पहले ही पुलिस टीम ने सोनम वांगचुक को उनके गांव उल्याकटोपो से गिरफ्तार कर लिया। लेह एयरपोर्ट से उन्हें विशेष विमान से जोधपुर ले जाया गया, जहां भारी सुरक्षा के बीच जेल पहुंचाकर उन्हें हाई-सिक्योरिटी वार्ड में रखा गया। मेडिकल जांच के बाद उन पर चौबीसों घंटे निगरानी की व्यवस्था की गई है।
क्यों हुई गिरफ्तारी?
- आरोप सरकार का: वांगचुक की भूख हड़ताल और भाषणों ने लोगों को भड़काया, जिससे 24 सितंबर को हिंसा भड़की।
- विपक्ष का आरोप: यह गिरफ्तारी केंद्र सरकार की असफलताओं को छुपाने और आवाज़ दबाने का तरीका है।
- पृष्ठभूमि: सोनम लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे। 35 दिन के अनशन और प्रदर्शन के बाद हिंसा भड़की।
NSA के मायने
- बिना आरोप के हिरासत संभव।
- अधिकतम 12 महीने तक कैद किया जा सकता है।
- जमानत का कोई अधिकार नहीं।
- हिरासत की समीक्षा सलाहकार बोर्ड करता है।
प्रमुख प्रतिक्रियाएँ
- पत्नी गितांजलि अंगमो: सरकार झूठी कहानी फैला रही है, पति को अपराधी की तरह ट्रीट किया गया।
- कांग्रेस नेता जयराम रमेश: केंद्र का ध्यान भटकाने की कोशिश।
- उमर अब्दुल्ला: यह दुर्भाग्यपूर्ण है, केंद्र ने 2020 के वादे तोड़े।
- अरविंद केजरीवाल: “तानाशाही का चरम”।
- लद्दाख सांसद मोहम्मद हनीफा: पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच की मांग।
बड़ा सवाल
सोनम वांगचुक, जिन्हें देश-विदेश में पर्यावरण और शिक्षा सुधारक के तौर पर जाना जाता है, आज “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा” बताए जा रहे हैं। क्या यह कदम वाकई सुरक्षा की मजबूरी है या फिर आवाज़ दबाने की कोशिश?
