“औकात” वाली चुनौती पर सूर्यकुमार यादव का करारा जवाब, पूरी मैच फीस शहीद परिवारों और सेना को समर्पित

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव ने पाकिस्तान को फाइनल में हराकर एशिया कप का खिताब जीतने के बाद एक बड़ा ऐलान कर दिया। उन्होंने टूर्नामेंट की अपनी पूरी मैच फीस पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों और भारतीय सेना को दान करने की घोषणा की।

सूर्यकुमार ने एक्स (Twitter) पर लिखा –
“मैंने इस टूर्नामेंट की अपनी मैच फीस को आर्म्ड फोर्सेस और पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ित परिवारों की मदद के लिए दान करने का फैसला किया है। हमारी भावनाएं हमेशा आपके साथ हैं। जय हिंद।”

यह घोषणा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई और क्रिकेट प्रेमियों समेत आम जनता ने उनकी जमकर सराहना की।

विवाद की पृष्ठभूमि

दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत 15 सितंबर को हुई थी। आम आदमी पार्टी (AAP) नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भारत-पाकिस्तान मैच का विरोध करते हुए सूर्यकुमार यादव को चुनौती दी थी।

भारद्वाज ने कहा था –
“अगर है तुम्हारी औकात… जितना पैसा तुमने इस क्रिकेट से कमाया है, विज्ञापन से कमाया है, सब शहीदों की विधवाओं को दे दो। तभी मानेंगे कि तुमने वाकई डेडिकेट किया है। हिम्मत नहीं है, औकात नहीं है इनकी।”

इस बयान पर खूब विवाद हुआ और सोशल मीडिया पर “औकात” शब्द चर्चा का विषय बन गया।

सूर्यकुमार का कदम – जवाब या संवेदनशीलता?

जब सूर्यकुमार ने पाकिस्तान को हराने के बाद जीत को सेना और शहीदों को समर्पित किया और मैच फीस दान की, तो लोग इसे सीधे तौर पर AAP नेता की चुनौती का जवाब मानने लगे।

  • कुछ लोगों ने कहा कि सूर्यकुमार ने “औकात” दिखा दी।
  • वहीं, क्रिकेट प्रशंसकों ने इसे उनकी देशभक्ति और संवेदनशीलता का प्रतीक बताया।

राजनीतिक बहस भी तेज

AAP नेता का बयान और सूर्यकुमार का ऐलान अब राजनीतिक रंग भी ले चुका है।

  • एक ओर विपक्षी दल इसे AAP नेता की “ओछी राजनीति” बता रहे हैं।
  • वहीं, आम आदमी पार्टी का कहना है कि उनका मकसद सिर्फ शहीदों के परिवारों को न्याय दिलाने की बात उठाना था।

बड़ा सवाल

सवाल यह है कि क्या क्रिकेट और राजनीति को इस तरह जोड़ना सही है?
सूर्यकुमार यादव का कदम निश्चित तौर पर मानवीय संवेदनशीलता और खेल भावना का उदाहरण है। लेकिन इसे राजनीतिक चुनौती के चश्मे से देखना कहीं न कहीं खेल और देशभक्ति दोनों को सीमित कर देता है।