Coldrif सिरप से छिंदवाड़ा के आंसू: डॉक्टर बोले, ‘मैं तो सिर्फ दवा लिखता हूं’

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से आई एक दिल दहला देने वाली खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया है। कथित रूप से जहरीली Coldrif कफ सिरप पीने के बाद 14 मासूम बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच रिपोर्ट में दवा के नमूने “अमान्य” (Unfit for Use) पाए जाने के बाद सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए इस सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है और दवा निर्माता कंपनी तथा डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है।

लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच, प्राथमिक उपचार करने वाले डॉक्टर डॉ. प्रवीण सोनी का एक बयान सामने आया है जिसने इस त्रासदी को एक नया मोड़ दे दिया है।

🩺 “10 साल से लिख रहा हूं Coldrif, फॉर्मूलेशन मेरा काम नहीं” — डॉ. सोनी का बचाव

38 साल से परासिया क्षेत्र में सेवाएं दे रहे डॉ. प्रवीण सोनी, जो इस मामले में FIR के दायरे में आए हैं, ने ‘आजतक’ से हुई बातचीत में कहा —

“मैं ये दवाइयां पिछले 10 साल से लिख रहा हूं। फार्मेसी का फॉर्मूलेशन देखना मेरा काम नहीं है। दवा डॉक्टर के पास सीलबंद पैक में आती है। हमें जो तैयार दवा मिलती है, हम वही लिखते हैं। इस पर फार्मेसी डिपार्टमेंट की निगरानी होती है।”

उन्होंने आगे कहा कि बरसात के मौसम में वायरल इंफेक्शन के केस बहुत बढ़ जाते हैं, और इसी दौरान उन्होंने कई बच्चों को सर्दी-जुखाम-बुखार के लक्षणों के साथ देखा।

“बच्चों को 104 डिग्री तक बुखार था। मैंने छह बच्चों का इलाज किया था, जिनमें से कुछ को बेहतर नहीं लगने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। मैं पिछले 38 सालों से शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में सिविल अस्पताल परासिया में कार्यरत हूं।”

😢 पीड़ित परिवारों की दर्दनाक आपबीती

🔸 अदनान की कहानी (न्यूटन गांव, परासिया ब्लॉक)

मृतक बच्चे अदनान के दादा साजिद खान ने बताया —

“21 अगस्त को अदनान की तबीयत बिगड़ी। डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास ले गए, उन्होंने Coldrif सिरप समेत कुछ दवाएं दीं। हालत में सुधार नहीं हुआ, तो जिला अस्पताल ले गए। वहां भी कोई आराम नहीं हुआ। 7 सितंबर को अदनान की मृत्यु हो गई।”

साजिद खान ने प्रशासन से मांग की है कि जिन बच्चों को यह सिरप दी गई है, उनका तत्काल सर्वे किया जाए ताकि भविष्य में और जानें न जाएं।

🔸 उसैद का मामला (आराधना कॉन्वेंट स्कूल के पीछे, परासिया)

दूसरी ओर, सलीम के बेटे उसैद की भी किडनी फेल होने से मौत हो गई। उसके दादा यासीन खान ने कहा —

“बच्चे को बुखार था। डॉक्टर सिद्दीकी ने Coldrif सिरप दी। बुखार तो ठीक हुआ, लेकिन 2–3 दिन बाद यूरिन बंद हो गई। फिर हम जिला अस्पताल गए, फिर नागपुर के निजी अस्पताल तक ले गए, लेकिन हालत बिगड़ती चली गई। डायलिसिस भी कराया, पर कुछ नहीं बचा।”

⚖️ सरकारी कार्रवाई: बैन, जांच और निगरानी

राज्य सरकार ने इस घटना के बाद Coldrif कफ सिरप पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है।
स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि इस सिरप के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे और रिपोर्ट में दवा को अमान्य घोषित किया गया

अब तक की कार्रवाई:

  • Coldrif सिरप की राज्यभर में बिक्री और वितरण पर रोक लगाई गई है।
  • दवा की आवाजाही और स्टॉक पर निगरानी के आदेश जारी किए गए हैं।
  • दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है।
  • डॉ. प्रवीण सोनी को सस्पेंड कर दिया गया है।

📉 स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल

यह घटना न केवल एक दवा की गुणवत्ता पर, बल्कि पूरे स्वास्थ्य निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल उठाती है —

  • कैसे एक ऐसी दवा, जो वर्षों से बाजार में बिक रही थी, अचानक घातक साबित हुई?
  • क्या नियमित जांच और सैंपलिंग में लापरवाही हुई?
  • डॉक्टरों को बिना चेतावनी के जोखिम भरी दवा कैसे मिल रही थी?

🧭 निष्कर्ष: एक त्रासदी, जिसने व्यवस्था की कमजोरी उजागर की

छिंदवाड़ा की यह घटना बताती है कि जनस्वास्थ्य और दवा नियंत्रण के बीच कहीं न कहीं गंभीर सिस्टम फेल्योर हुआ है।
जहां एक ओर डॉक्टर अपने अनुभव पर भरोसा कर दवा लिख रहे थे, वहीं फार्मेसी सिस्टम उस दवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में विफल रहा।

अब यह मामला केवल 14 मासूमों की मौत का नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य ढांचे की जवाबदेही का बन गया है।
सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है, लेकिन असली सवाल अब भी वही है —
👉 “क्या ऐसी घटनाओं से सबक लेकर भारत में दवाओं की सुरक्षा व्यवस्था सचमुच बदलेगी?”