गाज़ा में चल रहे लंबे संघर्ष के बीच शांति की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से इज़रायल और हमास के बीच एक ऐतिहासिक गाज़ा शांति समझौते के पहले चरण पर सहमति बनी है। इस पहल का स्वागत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है।
पीएम मोदी ने इसे “स्थायी शांति की दिशा में सार्थक प्रयास” बताते हुए कहा कि यह समझौता न केवल बंधकों की रिहाई में मदद करेगा बल्कि गाज़ा के लोगों के लिए मानवीय सहायता को भी बढ़ाएगा।
🕊️ पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर पोस्ट करते हुए लिखा —
“हम राष्ट्रपति ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण पर हुए समझौते का स्वागत करते हैं। यह प्रधानमंत्री नेतन्याहू के सशक्त नेतृत्व का प्रतीक है। उम्मीद है कि बंधकों की रिहाई और गाज़ा के लोगों को मानवीय सहायता में वृद्धि से उन्हें राहत मिलेगी और स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।”
मोदी के इस बयान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की संतुलित कूटनीतिक स्थिति के रूप में देखा जा रहा है — जहां भारत ने मानवीय मूल्यों, शांति और संवाद के पक्ष में अपनी स्थिति दोहराई है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की घोषणा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते की जानकारी देते हुए कहा कि
“सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष व्यवहार किया जाएगा। यह दिन अरब और मुस्लिम जगत, इज़रायल और अमेरिका के लिए बहुत खास है।”
ट्रंप ने इस समझौते में कतर, मिस्र और तुर्किए की भूमिका की भी सराहना की और कहा कि उनकी मध्यस्थता ने वार्ता को सफल बनाया।
📜 शांति योजना के पहले चरण में क्या होगा?
ट्रंप की इस “गाज़ा पीस प्लान” के पहले चरण में कई अहम बिंदु शामिल हैं —
- मानवीय सहायता के लिए पांच क्रॉसिंग तुरंत खोली जाएंगी ताकि गाज़ा के नागरिकों तक भोजन, पानी और दवाइयां पहुंच सकें।
- गाज़ा वापसी मानचित्र (Gaza Return Map) में बदलाव किया जाएगा ताकि नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हो सके।
- 20 इज़रायली बंदियों की रिहाई की जाएगी।
- इज़रायल अपनी जेलों से कई फलस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा।
- आगे चलकर इस समझौते के दूसरे चरण में स्थायी संघर्षविराम और राजनीतिक समाधान पर भी चर्चा होगी।
🤝 नेतन्याहू के नेतृत्व की तारीफ
पीएम मोदी ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की प्रशंसा करते हुए कहा कि
“यह उनके मजबूत नेतृत्व और शांति के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम है।”
भारत और इज़रायल के बीच पिछले कुछ वर्षों में रणनीतिक साझेदारी और रक्षा सहयोग मजबूत हुआ है। ऐसे में मोदी का यह बयान दोनों देशों के मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों को और गहराई देने वाला माना जा रहा है।
🌐 कूटनीतिक संकेत
इस पूरे घटनाक्रम में तीन महत्वपूर्ण बातें उभरकर सामने आईं —
- भारत ने खुद को वैश्विक शांति समर्थक राष्ट्र के रूप में पेश किया।
- अमेरिका और इज़रायल दोनों के प्रति संतुलित कूटनीति दिखाई।
- मध्य पूर्व में स्थिरता के लिए भारत की भूमिका संवेदनशील लेकिन रचनात्मक रही।
