मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 22 बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद अब दिल्ली सरकार ने इस दवा पर बड़ा कदम उठाया है। राजधानी में इस सिरप की बिक्री, वितरण और प्रिस्क्रिप्शन पर तत्काल रोक लगा दी गई है।
यह फैसला तब लिया गया जब जांच में सामने आया कि सिरप में जहरीले रासायनिक तत्वों की मौजूदगी बच्चों की मौत का कारण बनी हो सकती है।
⚠️ दिल्ली सरकार की सख्त कार्रवाई
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री पंकज सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा —
“दिल्ली में कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल को इसे प्रिस्क्राइब करने की अनुमति नहीं है।”
उन्होंने बताया कि यह फैसला केंद्र सरकार और ड्रग्स कंट्रोलर के निर्देशों के तहत लिया गया है।
“हमने पिछले छह महीनों से इस कंपनी को कोई सरकारी टेंडर नहीं दिया। राजधानी में किसी भी मेडिकल स्टोर पर यह दवा नहीं बिकेगी।”
👮♂️ स्रेसन फार्मा के मालिक गिरफ्तार, 10 दिन की पुलिस हिरासत
इस मामले में अब कानूनी शिकंजा भी कस गया है।
स्रेसन फार्मा नाम की कंपनी, जो कोल्ड्रिफ सिरप बनाती है, उसके मालिक रंगनाथन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
छिंदवाड़ा की परासिया कोर्ट ने शनिवार को रंगनाथन को 10 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया।
पुलिस अधीक्षक अजय पांडे ने बताया कि
“एसआईटी (Special Investigation Team) ने रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार किया। मेडिकल जांच के बाद उन्हें छिंदवाड़ा लाया जाएगा।”
सूत्रों के मुताबिक, जांच एजेंसियां कंपनी के कच्चे माल, उत्पादन प्रक्रिया और लाइसेंस दस्तावेजों की भी जांच कर रही हैं।
🔬 DCGI का अलर्ट — राज्यों को निर्देश जारी
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने भी इस घटना के बाद देशभर के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कड़ी चेतावनी जारी की है।
DCGI प्रमुख डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने 7 अक्टूबर को जारी पत्र में कहा —
“दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कच्चे पदार्थों और तैयार उत्पादों की गुणवत्ता जांच बेहद जरूरी है। किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
उन्होंने दवा नियमन से जुड़े सभी विभागों को Drugs & Cosmetics Rules, 1945 के तहत सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
🧒 छिंदवाड़ा हादसा: कैसे हुआ त्रासदी का खुलासा
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कुछ दिनों पहले 22 बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
मृत बच्चों के परिजनों ने बताया कि बच्चों को सर्दी-खांसी की शिकायत के बाद स्थानीय डॉक्टर ने “कोल्ड्रिफ सिरप” दी थी।
सिरप पीने के कुछ घंटे बाद ही बच्चों की तबीयत बिगड़ गई — उल्टियां, सांस लेने में दिक्कत और बेहोशी जैसे लक्षण दिखे।
जांच में सामने आया कि सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रसायन मौजूद था, जो पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय मामलों में बच्चों की मौत का कारण बन चुका है।
⚖️ अब क्या होगा?सरकार ने इस घटना को “दवा उद्योग की सबसे गंभीर लापरवाही” बताया है।
ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने देशभर में कोल्ड्रिफ और इसी श्रेणी के अन्य सिरप्स के सैंपल एकत्र करने के आदेश दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अगर यह साबित होता है कि कंपनी ने गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की है,
तो उसका लाइसेंस रद्द किया जाएगा और मालिक व जिम्मेदार अफसरों पर हत्या जैसी धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।
🩸 निष्कर्ष:
छिंदवाड़ा का यह हादसा देश के दवा नियामक सिस्टम के लिए चेतावनी की घंटी है।
दिल्ली सरकार की त्वरित कार्रवाई यह संदेश देती है कि
“दवाओं में लापरवाही अब अपराध मानी जाएगी।”
अब सबकी निगाहें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और DCGI जांच पर टिकी हैं,
जो यह साफ करेगी कि बच्चों की मौत दवा की जहरीली सामग्री से हुई या किसी और वजह से।
