बिहार की राजनीति में फिर एक बार हलचल मचने वाली है।
13 अक्टूबर (सोमवार) को दिल्ली की राउज एवेन्यू स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में बहुचर्चित “लैंड फॉर जॉब केस” (जमीन के बदले नौकरी मामला) पर फैसला आने वाला है।
यह वही केस है, जिसने एक बार फिर लालू यादव और उनके परिवार को राजनीतिक और कानूनी संकट में डाल दिया है।
⚖️ फैसला 13 अक्टूबर को, सभी आरोपियों की कोर्ट में मौजूदगी अनिवार्य
सीबीआई की विशेष अदालत के जज विशाल गोगने ने 25 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कोर्ट ने साफ निर्देश दिया है कि सभी आरोपियों को 13 अक्टूबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा।
इस निर्देश के बाद लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंच चुके हैं।
बिहार चुनाव से पहले आने वाला यह फैसला RJD के लिए राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है।
🧩 तेजस्वी यादव के लिए ‘राजनीतिक परीक्षा’
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह केस तेजस्वी यादव के करियर की सबसे बड़ी परीक्षा साबित हो सकता है।
अगर अदालत का फैसला लालू परिवार के पक्ष में आता है, तो यह RJD के लिए बड़ी राहत होगी और पार्टी को चुनाव से पहले नैरेटिव मजबूत करने का मौका मिलेगा।
लेकिन अगर फैसला विपरीत आया, तो बीजेपी और एनडीए खेमे को विपक्ष पर हमला बोलने का बड़ा मुद्दा मिल जाएगा।
तेजस्वी यादव पहले ही इस मामले को “राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित” बता चुके हैं।
उनका कहना है —
“हमने कोई गलत काम नहीं किया। सच्चाई हमारे साथ है, और सच्चाई की जीत होगी।”
📜 क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ केस
यह मामला 2004 से 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव केंद्र सरकार में रेल मंत्री थे।
सीबीआई की जांच के मुताबिक, इस दौरान रेलवे में भर्ती के नाम पर उम्मीदवारों से जमीन ली गई —
यानी नौकरी पाने वाले कुछ उम्मीदवारों ने अपनी ज़मीन लालू परिवार या उनसे जुड़े लोगों के नाम कर दी।
सीबीआई ने चार्जशीट में आरोप लगाया कि यह “जमीन के बदले नौकरी” का सौदा था।
इसमें लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव समेत 14 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है।
मामले में धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं।
🕰️ मामले की अब तक की पूरी टाइमलाइन
- 2004-2009: लालू यादव रेल मंत्री रहते हुए कथित तौर पर नौकरियों के बदले जमीन लेने के आरोप।
- 2021: सीबीआई ने इस मामले की FIR दर्ज की और जांच शुरू की।
- 2022: चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें लालू परिवार के कई सदस्यों के नाम शामिल।
- 2023: अदालत ने ट्रायल शुरू किया, गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
- 25 अगस्त 2025: सुनवाई पूरी कर अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा।
- 13 अक्टूबर 2025: फैसला आने वाला है।
🧠 राजनीतिक प्रभाव: चुनावी समीकरणों पर असर तय
फैसले का असर सिर्फ अदालत तक सीमित नहीं रहेगा —
यह सीधे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की रणनीति पर भी असर डालेगा।
अगर फैसला RJD के खिलाफ गया, तो विपक्ष इसे
“परिवारवाद और भ्रष्टाचार का सबूत”
बताकर चुनावी हथियार बनाएगा।
लेकिन अगर फैसला परिवार के पक्ष में आया, तो RJD इसे
“सत्य की जीत”
के तौर पर पेश कर सकती है, जो पार्टी को बड़ी राजनीतिक ऊर्जा देगा।
🔍 अब निगाहें अदालत पर
दिल्ली की अदालत में 13 अक्टूबर को सुबह से ही सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहेगी।
सभी बड़े मीडिया हाउस और राजनीतिक दलों की निगाहें इस केस के फैसले पर टिकी हैं।
यह फैसला न केवल लालू परिवार की साख, बल्कि तेजस्वी यादव के राजनीतिक भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है।
