शिक्षा भवन पर गूंजा शिक्षकों का विरोध—स्कूलों के जबरन विलय के खिलाफ गरजे हजारों शिक्षक

प्रदेश भर के शिक्षकों का गुस्सा सोमवार को राजधानी लखनऊ के शिक्षा भवन पर फूट पड़ा। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले जुटे हजारों शिक्षकों ने बेसिक स्कूलों के जबरन विलय (Merger) के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी शिक्षक अब सीधे मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपने की तैयारी में हैं।

‘जिनके घर मिले नोटों के बोरे, वो न करें हमारे केस की सुनवाई’

प्रदर्शनकारियों ने स्कूल विलय पर सुनवाई करने वाले न्यायधीशों की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े किए। एक शिक्षक ने आक्रोश जताते हुए कहा,

“हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारे केस की सुनवाई वही जज न करें, जिनके घर नोटों के बोरे मिले हों।”

गर्मी में भी जज़्बा कायम, महिलाओं की भारी भागीदारी

भीषण गर्मी के बावजूद शिक्षकों का जोश कम नहीं हुआ। महिला शिक्षकों की भागीदारी सबसे ज्यादा देखने को मिली। कई महिला शिक्षक अपने छोटे बच्चों के साथ बस लगाकर प्रदर्शन स्थल पहुंचीं।

‘जब छम्च् देशभर में लागू नहीं, तो हमारे स्कूलों में क्यों?’

संघ के जिला मंत्री वीरेंद्र सिंह ने सरकार द्वारा छम्च् (संभवतः स्कूल मर्जर के मानक) को आधार बनाने पर सवाल खड़ा करते हुए कहा:

“अगर छम्च् देशभर में लागू नहीं हुआ है, तो बेसिक स्कूलों में इसे क्यों लागू किया जा रहा है?”

उन्होंने यह भी बताया कि विद्यालयों के मर्जर के चलते हेडमास्टर के पद पहले ही खत्म हो चुके हैं, और अब सहायक अध्यापक के पदों में भी भारी कटौती की जा रही है।

‘नई शिक्षा नीति पर भी उठे सवाल’

प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने नई शिक्षा नीति (NEP) को लेकर भी आपत्ति जताई। उनका कहना है कि यह नीति जमीनी हकीकत से कोसों दूर है, और ग्रामीण छात्रों को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

‘यह व्यवस्था अनैतिक है’: नगर अध्यक्ष

लखनऊ नगर अध्यक्ष प्रदीप सिंह ने मर्जर की नीति को सख्त शब्दों में नकारते हुए कहा:

“सरकार की यह मर्जर व्यवस्था पूरी तरह से अनैतिक है। रामखेड़ा जैसे गांवों में बच्चों को 2.5 किलोमीटर दूर भेजा जा रहा है, जो व्यवहारिक नहीं है। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, और उनके साथ अभिभावक भी अब धरने पर बैठने लगे हैं।”

क्या हैं टीचर्स की 10 सूत्रीय मांगें?

प्रदर्शनकारी शिक्षक सिर्फ स्कूल मर्जर ही नहीं, बल्कि अन्य कई मांगों को लेकर एकजुट हुए हैं। इन मांगों में शामिल हैं:

  1. स्कूल मर्जर नीति पर तत्काल रोक

  2. हेडमास्टर पदों की पुनर्बहाली

  3. शिक्षकों की स्वायत्तता सुनिश्चित करना

  4. स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता

  5. संविदा शिक्षकों के स्थायीकरण

  6. वेतन विसंगतियों का समाधान

  7. महिला शिक्षकों को विशेष सुविधाएं

  8. शिक्षकों पर थोपे गए अतिरिक्त कार्यों की समीक्षा

  9. विद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था

  10. नई शिक्षा नीति पर पुनर्विचार

अब क्या होगा आगे?

प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन लंबा चलेगा और जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे पीछे नहीं हटेंगे।
मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जल्द ही सौंपा जाएगा, जिसमें मांगों को विस्तार से रखा जाएगा।


🖊️ अर्जित राज, आवाज प्लस मीडिया हाउस
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