UP के 1 लाख से ज्यादा बिजलीकर्मी सड़क पर उतरेंगे, शक्ति भवन पर होगा मुख्य प्रदर्शन

लखनऊ, 8 जुलाई 2025 | आवाज़ प्लस ब्यूरो
देशभर में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए 9 जुलाई को करीब 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल पर जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में यह विरोध खासा व्यापक होगा, जहां 1 लाख से ज्यादा बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, अभियंता और जूनियर इंजीनियर पूरे दिन कार्यस्थलों और कार्यालयों से बाहर आकर निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।

यह हड़ताल नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर की जा रही है। उत्तर प्रदेश में इस आंदोलन की कमान विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने संभाली है। समिति का कहना है कि सरकार की निजीकरण नीति न सिर्फ़ कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है, बल्कि सार्वजनिक हित और उपभोक्ताओं की सेवाओं के लिए भी खतरा है।

क्यों हो रहा है विरोध?

सरकार ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की योजना बनाई है। कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला जनविरोधी है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह इस पर हस्तक्षेप करे।

लखनऊ बनेगा आंदोलन का केंद्र

राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन मुख्यालय के बाहर सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा, जहां लेसा, मध्यांचल, ट्रांसमिशन, उत्पादन निगम समेत सभी प्रमुख विभागों के कर्मचारी शामिल होंगे।

देशभर से समर्थन

इस हड़ताल को केवल बिजली क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा गया है। रेल, बैंक, बीमा, पोस्टल, बीएसएनएल, और कई अन्य सरकारी व निजी क्षेत्र के कर्मचारी भी इसका समर्थन कर रहे हैं। अनुमान है कि देशभर में करीब 25 करोड़ कर्मचारी और मजदूर इस ऐतिहासिक हड़ताल में भाग लेंगे।

उपभोक्ताओं को नहीं होगी परेशानी

संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि उपभोक्ताओं को किसी तरह की असुविधा न हो, इसके लिए हर जनपद में विशेष टीमों का गठन कर दिया गया है। ये टीमें आपात स्थिति में सेवाएं सुनिश्चित करेंगी।


🔴 आंदोलन का संदेश:

“जनहित के खिलाफ किसी भी निजीकरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा — कर्मचारी एकजुट हैं और शांतिपूर्ण तरीके से अपनी आवाज़ उठा रहे हैं।”


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