बिजली विभाग की फर्जी बिलिंग और बेलगाम तानाशाही का घिनौना नमूना- कटी हुई बिजली, मृत उपभोक्ता, और फिर भी भेजा लाखों का बिल!”

बकाया बिल के नाम पर उत्पीड़न, बिजली विभाग की लापरवाही, भ्रष्टाचार और फर्जी बिलिंग की कहानी अब नई ऊंचाई पर पहुँच चुकी है। कप्तानगंज से सामने आए ताजा मामले ने यह साबित कर दिया है कि बिजली विभाग न सिर्फ बेशर्म है, बल्कि मृतकों तक को नहीं बख्शता

यहां एक घरेलू विद्युत कनेक्शन (संख्या: 751608775701) का कनेक्शन ₹18,009 के बकाए पर 8 मार्च 2018 को काट दिया गया। लेकिन इस विभाग की बेशर्मी यहीं नहीं रुकी—कुछ ही दिनों बाद, कनेक्शनधारक की 27 मार्च 2018 को मृत्यु हो गई

इसके बावजूद मृतक उपभोक्ता के नाम पर लगातार बिजली के बिल भेजे गए। न बिजली की खपत, न कनेक्शन चालू, न मीटर रीडिंग, फिर भी हजारों से बढ़ाकर लाखों का बिल भेजा गया—जैसे कि उपभोक्ता की मृत्यु नहीं, बल्कि विभाग की नैतिकता मर गई हो!

परिजनों ने 18 दिसंबर 2018 और 12 मार्च 2019 को कनेक्शन को स्थायी रूप से समाप्त करने के लिए विभाग को आवेदन दिए। लेकिन न तो आवेदन का संज्ञान लिया गया और न ही कोई कार्रवाई। उल्टा विभाग ने उन प्रार्थना पत्रों को शायद रद्दी की टोकरी में फेंक दिया और बिल पर बिल थोपता रहा।

अब मृतक उपभोक्ता के परिजनों को लाखों के वसूली नोटिस भेजे जा रहे हैं, जबकि न तो उन्होंने कोई नया कनेक्शन लिया और न ही बिजली का उपयोग किया। यह मामला न सिर्फ विभागीय संवेदनहीनता, बल्कि नग्न भ्रष्टाचार और उत्पीड़न की पराकाष्ठा है।


सवाल जो जवाब मांगते हैं –

🔴 जब कनेक्शन काट दिया गया, तो बिल कैसे बना?
🔴 जब उपभोक्ता मर चुका है, तो लाखों की वसूली किससे और क्यों?
🔴 जब वारिसों ने स्थायी विच्छेदन की मांग की, तो उसे अनदेखा क्यों किया गया?


🛑 बिजली विभाग की ‘फर्जी वसूली नीति’ पर कब लगेगा ब्रेक?

बिजली विभाग के लिए यह केस सिर्फ एक ‘बकाया’ नहीं, बल्कि बदनामी का प्रतीक है। यदि इस मामले में न्याय नहीं मिला, तो साफ है—UPPCL अब सेवा प्रदाता नहीं, उत्पीड़नकर्ता बन चुका है।


यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब न कनेक्शन चालू था, न उपभोग हुआ और उपभोक्ता का निधन हो चुका था, तो किस आधार पर लाखों का बकाया दर्शाया गया?

👉 यूपीपीसीएल की छवि को धूमिल कर रहे ऐसे मामलों में जवाबदेही कब तय होगी?
👉 कब सुधरेगी फर्जी बिलिंग और निष्क्रिय शिकायत निस्तारण प्रणाली?
👉 कब तक उपभोक्ताओं को मृत अवस्था में भी वसूली के नोटिस झेलने होंगे?


📌 सम्पादकीय आग्रह:
यह घटना बिजली विभाग की उपेक्षात्मक और निरंकुश कार्यशैली की जीवंत मिसाल है। यदि समय रहते ठोस कदम न उठाए गए तो उपभोक्ताओं का विश्वास पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।