लद्दाख के प्रसिद्ध क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर अब उनकी पत्नी और हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) की सीईओ गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
अंगमो ने आरोप लगाया कि—
- वांगचुक को बिना किसी ठोस वजह के हिरासत में लिया गया।
- उन्हें न फोन पर और न ही व्यक्तिगत रूप से मिलने की अनुमति दी जा रही है।
- राज्य और उसकी एजेंसियां न केवल वांगचुक बल्कि पूरे संस्थान और कर्मचारियों को निगरानी और दबाव में रख रही हैं।
📜 संविधान का हवाला
अंगमो ने कहा कि यह कार्रवाई भारतीय संविधान की भावना का उल्लंघन है।
- अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार)
- अनुच्छेद 22 (कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार)
इन दोनों का हनन हो रहा है।
📂 संदिग्ध FIR और छात्रों की जानकारी मांगी गई
उन्होंने बताया कि 30 सितंबर को संस्थान के सुरक्षा गार्ड को एक पत्र मिला जिसमें—
- एक FIR दर्ज थी।
- छात्रों, कर्मचारियों और प्रशिक्षुओं के नाम, माता-पिता, पते, नई तस्वीरें और संपर्क नंबर तक मांगे गए।
इसे उन्होंने पूरी तरह से डराने और धरपकड़ का प्रयास बताया।
🗣️ “देश के लिए खतरा नहीं, बल्कि योगदानकर्ता”
अंगमो ने जोर दिया कि—
- वांगचुक का भारतीय सेना के लिए आश्रय स्थल बनाने और लद्दाख की जनता के राष्ट्रवाद को मजबूत करने में अहम योगदान रहा है।
- वह हमेशा गांधीवादी और शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्षधर रहे हैं।
- उन्हें “देश के लिए खतरा” बताना न केवल गलत है बल्कि रणनीतिक भूल भी है।
🚨 राजनीतिक प्रतिक्रिया
- CPIM सांसद अमरा राम जोधपुर जेल में उनसे मिलने पहुंचे लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी।
- उन्होंने जेल अधीक्षक को पत्र भी लिखा, पर नियमों का हवाला देकर रोक दिया गया।
🔎 पृष्ठभूमि
- 24 सितंबर को लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन भड़काने के आरोप में सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया गया।
- बाद में उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत हिरासत में लेकर जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया।
👉 अब सवाल यह है कि एक शांतिपूर्ण और वैश्विक स्तर पर सम्मानित एक्टिविस्ट पर NSA जैसे कठोर कानून का इस्तेमाल क्या राजनीतिक कदम है या सुरक्षा दृष्टिकोण से आवश्यक?
