लखनऊ में खुला नाला बना मौत का फंदा: पेंटर सुरेश की जान गई, अफसरों ने सिर्फ बैठकें कीं – ज़मीनी काम शून्य

लखनऊ की राजधानी में एक बार फिर लापरवाही और संवेदनहीन प्रशासन की तस्वीर सामने आई है। ठाकुरगंज इलाके में एक खुला नाला पेंटर सुरेश लोधी की जान ले गया, लेकिन नगर निगम के अफसर और जनप्रतिनिधि सिर्फ फाइलों और बैठकों तक सिमटे रहे।

पेंटर सुरेश शनिवार को खुले नाले में गिर गया, लेकिन सर्च ऑपरेशन शाम को रोक दिया गया और सुबह टीम देरी से पहुंची। परिजनों और स्थानीय लोगों ने खुद शव को ढूंढा, लेकिन हादसे के बाद भी नाला वैसे ही खुला पड़ा है।

🔴 बैठकें हुईं, निर्देश जारी हुए… लेकिन काम नहीं हुआ

मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बीते महीनों में दर्जनों बैठकें कीं, लेकिन

**न नालों की सफाई हुई

**न खुले मैनहोल ढंके गए

**न जलभराव से निपटने के पर्याप्त इंतज़ाम हुए

—नतीजा: सुरेश की मौत ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी

🚫 सर्च ऑपरेशन में लापरवाही, संवेदनहीनता की हद

  • शनिवार शाम 7 बजे ही नगर निगम की टीम ने सर्च बंद कर दिया
  • नगर आयुक्त पहले ये मानने को तैयार नहीं थे कि सुरेश नाले में गिरा है
  • रविवार सुबह 11 बजे टीम पहुंची, जबकि
  • –परिजन सुबह 5 बजे से खुद तलाश में जुटे थे
  • –शव स्थानीय सफाईकर्मी को नदी किनारे पड़ा मिला

😔 मृतक के घर नहीं पहुंचे अफसर, सिस्टम ने दिखाई संवेदनहीनता

  • डीएम, विधायक, मेयर और अधिकारी पोस्टमार्टम हाउस तक तो पहुंचे, लेकिन
  • मृतक सुरेश के घर राधाग्राम योजना में कोई नहीं गया
  • स्थानीय लोगों का आरोप: हंगामे के डर से अफसर पीछे हटे

🏚️ हादसे के बाद भी खतरा बरकरार

  • जिस नाले में सुरेश गिरा, वह अभी तक खुला पड़ा है
  • सर्च के लिए जो हिस्से खोले गए थे, उन्हें भी कवर नहीं किया गया
  • शहरभर में सैकड़ों खुले नाले और मैनहोल अब भी जानलेवा बने हुए हैं

📍 लखनऊ में ऐसे और कितने ‘मौत के नाले’?

  • मंजू टंडन रोड, गऊघाट, बंगला बाजार, मायावती कॉलोनी सहित दर्जनों स्थानों पर
  • न तो चेतावनी बोर्ड, न ही अस्थायी कवर या बैरिकेडिंग
  • राजधानी में एक और मौत की घड़ी बस इंतज़ार में है