भारतीय रेलवे की उस संभावित योजना को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है, जिसमें यात्रियों का सामान तौलने और तय सीमा से ज़्यादा वज़न होने पर अतिरिक्त शुल्क वसूला जा सकता है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस कदम को गरीब विरोधी बताते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है।
अखिलेश यादव का बयान
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा –
“भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जनता पर भारी बोझ बन चुकी है। अब यात्रियों का सामान तोलने और पैसा वसूलने के नाम पर भ्रष्टाचार का नया अध्याय खोला जा रहा है। यह निर्णय गरीबों के खिलाफ है।”
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह योजना वापस नहीं ली गई तो जनता भाजपा का “रिटर्न टिकट” समय से पहले काट देगी।
गरीब यात्रियों पर असर
अखिलेश यादव ने कहा कि इस योजना से सबसे ज्यादा परेशानी उन गरीब परिवारों और प्रवासी मजदूरों को होगी, जो साल में एक-दो बार घर जाते हैं और अपने साथ अनाज, राशन या अन्य ज़रूरी सामान लेकर सफर करते हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि –
- “क्या भाजपा अब गरीब किसानों और मजदूरों का खाना भी छीनना चाहती है?”
- “अगर सरकार को अतिरिक्त पैसा ही वसूलना है तो अमीर यात्रियों से वसूले, जो एसी-1 या एसी-2 क्लास में यात्रा करते हैं, न कि जनरल, स्लीपर और एसी-3 में सफर करने वाले गरीबों से।”
भाजपा सरकार पर आरोप
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि भाजपा राज में रेलवे भ्रष्टाचार से खोखला हो चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि आम जनता पर बोझ डालने से पहले भाजपा के सांसद और विधायक अपनी मुफ्त यात्रा पास की सुविधा छोड़ें।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
रेलवे देश का सबसे बड़ा परिवहन तंत्र है और करोड़ों गरीब व मध्यम वर्गीय लोग रोज़ाना इसका इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सामान तौलने और अतिरिक्त शुल्क की नीति लागू हुई तो इसका सीधा असर सबसे निचले तबके पर पड़ेगा। यही कारण है कि विपक्ष इसे गरीब विरोधी फैसला बताकर भाजपा पर हमलावर हो रहा है।
आगे क्या?
अभी तक रेलवे की ओर से इस योजना पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और राजनीतिक बयानबाज़ी ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या रेलवे इस योजना पर आगे बढ़ता है या विपक्ष के दबाव में कदम पीछे खींच लेता है।
