लखनऊ में बिजली विभाग की मनमानी पर लगेगा ब्रेक: रिश्वतखोरी रोकने के लिए 1 नवंबर से लागू होगा फेसलेस वर्टिकल सिस्टम

लखनऊ में बिजली बिल करेक्शन और कनेक्शन से जुड़ी शिकायतों पर अब लगाम लगाने की तैयारी है। लंबे समय से उपभोक्ता यह आरोप लगाते रहे हैं कि बिल संशोधन या नया कनेक्शन देने के नाम पर विभागीय बाबू और इंजीनियर रिश्वत मांगते हैं और मनमानी करते हैं। लेकिन अब यह व्यवस्था बदलने जा रही है।

नई व्यवस्था का ऐलान

यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल और एमडी पंकज कुमार ने शक्ति भवन में लखनऊ के चारों जोन के मुख्य अभियंताओं के साथ बैठक की। बैठक में तय किया गया कि 1 नवंबर से लेसा (लखनऊ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई एडमिनिस्ट्रेशन) में फेसलेस वर्टिकल सिस्टम लागू होगा।

कैसे काम करेगा सिस्टम

लखनऊ सेंट्रल के मुख्य अभियंता रवि अग्रवाल ने बताया कि इस सिस्टम में अब किसी भी बाबू या इंजीनियर का अपने क्षेत्र पर एकाधिकार नहीं रहेगा।

  • किसी भी उपभोक्ता का बिल करेक्शन या कनेक्शन का काम रेंडम आधार पर किसी भी अधिकारी/कर्मचारी को सौंपा जाएगा।
  • उपभोक्ता सीधे ऑनलाइन आवेदन करेगा और सिस्टम के जरिए फाइल जिस अधिकारी के पास जाएगी, वह उसे निपटाएगा।
  • इस तरह से कोई भी अधिकारी यह नहीं जान पाएगा कि किसका काम उसके पास आएगा, जिससे रिश्वतखोरी या पक्षपात की संभावना खत्म होगी।

उपभोक्ताओं के लिए नई सुविधाएं

  • लेसा के चारों जोनों में हेल्प डेस्क बनाए जाएंगे।
  • शिकायतों के त्वरित निस्तारण के लिए 30 से अधिक मोबाइल वैन उपलब्ध रहेंगी।
  • हर जोन में सहायक अभियंता (आईटी) और अधिशासी अभियंता (चेकिंग) की तैनाती होगी।

बिल संशोधन की प्रक्रिया

बिल संशोधन के लिए अलग से 8-10 बाबू बैठेंगे। उपभोक्ता की फाइल रेंडमली इनमें से किसी को भी दी जाएगी। इसी तरह नया कनेक्शन देने का काम भी रेंडम आधार पर होगा।

पहले से लागू मॉडल

यह सिस्टम पहले से ही कानपुर, मेरठ, बरेली और अलीगढ़ में लागू है। वहां के अनुभव बताते हैं कि इस व्यवस्था से शिकायतों में बड़ी कमी आई है। अब लखनऊ में भी यही मॉडल लागू कर विभागीय पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश होगी।

निष्कर्ष

नई व्यवस्था लागू होने के बाद उपभोक्ताओं को न सिर्फ रिश्वतखोरी से राहत मिलेगी बल्कि उनके काम भी समय से पूरे होंगे। इस कदम से बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पारदर्शी होगी और उपभोक्ताओं का भरोसा बढ़ेगा।