नेपाल में Gen Z आंदोलन लगातार सुर्खियों में है। लोकतंत्र और स्वतंत्रता की आवाज़ उठाने वाले युवाओं के इस आंदोलन ने सत्ता की नींव हिला दी है। लेकिन रविवार को काठमांडू में आंदोलन के नेता सुदन गुरुंग की प्रेस वार्ता एक बार फिर विवादों में घिर गई। पत्रकारों के सवालों से असहज होकर Gen Z कार्यकर्ताओं के बीच आपसी झगड़ा हो गया और प्रेस कॉन्फ्रेंस हंगामे में बदल गई।
🎙️ प्रेस वार्ता में क्यों हुआ बवाल?
प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों ने सुदन गुरुंग से सीधा सवाल किया:
- पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मामलों और गिरफ्तारियों का क्या होगा?
- आंदोलन में जिन युवाओं की मौत हुई, उनके परिवारों के लिए क्या ठोस योजना है?
इन सवालों का संतोषजनक जवाब गुरुंग नहीं दे पाए। नतीजतन वहां मौजूद Gen Z कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए। कई कार्यकर्ताओं ने पत्रकारों से भी बदसलूकी की।
👉 इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
✊ Gen Z आंदोलन और सुदन गुरुंग की भूमिका
- नेपाल सरकार ने 4 सितंबर 2025 को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (Twitter) समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया।
- युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया और सड़कों पर उतर आए।
- आंदोलन का चेहरा बने सुदन गुरुंग (36 वर्ष), जो 2015 के भूकंप में अपने बेटे को खो चुके थे। उन्होंने बाद में ‘हामी नेपाल’ संगठन बनाकर आपदा राहत और सामाजिक कार्य किए और युवाओं में लोकप्रिय हुए।
आंदोलन की खास बातें:
- राष्ट्रपति भवन, संसद और सुप्रीम कोर्ट तक पर हमले हुए।
- काठमांडू और अन्य शहरों में हिंसक विरोध, जिसमें 70+ लोगों की मौत।
- गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा।
- सोशल मीडिया पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया।
- आंदोलन ने भ्रष्टाचार और राजनीतिक वंशवाद के खिलाफ जनसमर्थन जुटाया।
🩸 शहीद का दर्जा और मुआवजा
नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को घोषणा की:
- आंदोलन में मारे गए युवाओं को सरकारी शहीद का दर्जा मिलेगा।
- मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख नेपाली रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
अब तक की रिपोर्ट के अनुसार:
- 59 प्रदर्शनकारी मारे गए
- 10 कैदियों की मौत
- 3 पुलिसकर्मी भी शहीद
🔎 विश्लेषण – आंदोलन कहां जा रहा है?
- विश्वसनीयता का संकट: प्रेस वार्ता का हंगामा दिखाता है कि आंदोलन का नेतृत्व अब सवालों के घेरे में है।
- युवाओं का गुस्सा अभी कायम: सोशल मीडिया बैन हटने और मुआवजा घोषणा के बाद भी आंदोलन पूरी तरह शांत नहीं हुआ।
- सत्ता पर दबाव: सुशीला कार्की की सरकार हर कदम पर समझौते कर रही है, लेकिन Gen Z आंदोलन इसे क्रांति मानकर आगे बढ़ाना चाहता है।
- भविष्य की चुनौती: क्या सुदन गुरुंग इस आंदोलन को संगठित दिशा दे पाएंगे या आपसी फूट से आंदोलन कमजोर पड़ जाएगा? यही बड़ा सवाल है।