यूक्रेन का रूस की तेल रिफायनरी पर ड्रोन अटैक: किरिशी संयंत्र में लगी भीषण आग, वैश्विक तेल बाजार पर असर

रूस-यूक्रेन युद्ध अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अब इसकी तस्वीर बदलती जा रही है। पहले यह जंग सीमाओं और सैन्य ठिकानों तक सीमित थी, लेकिन अब इसका फोकस ऊर्जा ढांचे (Energy Infrastructure) पर होता जा रहा है। हाल ही में यूक्रेन ने रूस की किरिशी रिफायनरी को निशाना बनाया, जिसे रूस के सबसे बड़े तेलशोधक संयंत्रों में से एक माना जाता है।

🔥 हमला कैसे हुआ?

शनिवार-रविवार की रात रूस ने दावा किया कि उसने यूक्रेन के छोड़े गए सैकड़ों ड्रोन को नष्ट कर दिया।

  • रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 361 ड्रोन, कई गाइडेड एरियल बम और अमेरिकी HIMARS मिसाइल को मार गिराया गया।
  • इसके बावजूद कुछ ड्रोन किरिशी रिफायनरी तक पहुंच गए।
  • एलेक्जेंडर ड्रोज़डेंको (लेनिनग्राद के गवर्नर) ने कहा कि एयर डिफेंस सिस्टम ने तीन ड्रोन को हवा में नष्ट किया, लेकिन उनके जलते मलबे ने रिफायनरी को चपेट में ले लिया।
  • इस हमले में एक व्यक्ति घायल भी हुआ।

🏭 किरिशी रिफायनरी का महत्व

किरिशी रिफायनरी रूस की दो सबसे बड़ी तेल रिफायनरियों में शामिल है।

  • रोजाना 3,55,000 बैरल कच्चे तेल का शोधन होता है।
  • रूस की कुल तेल शोधन क्षमता का 6.4% हिस्सा सिर्फ यह संयंत्र पूरा करता है।
  • यहाँ से तैयार तेल उत्पाद रूस की घरेलू जरूरतों के साथ-साथ निर्यात के लिए भी अहम है।

यानी यदि यह संयंत्र ठप होता है, तो रूस की तेल आपूर्ति प्रणाली पर सीधा असर पड़ेगा।

⚡ यूक्रेन की रणनीति

यूक्रेन लंबे समय से रूस के ऊर्जा ढांचे को निशाना बना रहा है।

  • ड्रोन हमलों से रूस की रिफायनरी, बंदरगाह और तेल पाइपलाइनें प्रभावित हो रही हैं।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने और उसकी युद्ध मशीनरी को धीमा करने के लिए अपनाई जा रही है।
  • यूक्रेन के ड्रोन कमांड सेंटर ने इस हमले को “सफल” बताया और कहा कि रूस की कमजोरियां अब उजागर हो रही हैं।

🌍 वैश्विक असर

रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है।

  • यदि लगातार ऐसे हमले होते रहे तो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार पर गहरा असर पड़ सकता है।
  • कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे भारत जैसे आयातक देशों पर दबाव आएगा।
  • यूरोप, जो पहले ही रूस से गैस और तेल की सप्लाई कम कर चुका है, उसे और विकल्प ढूंढने होंगे।

🛡️ रूस की चुनौती

रूस के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती है कि वह

  1. अपनी रिफायनरियों और ऊर्जा ढांचे की सुरक्षा कैसे मजबूत करे।
  2. यूक्रेन के ड्रोन हमलों का तुरंत जवाब कैसे दे।
  3. और अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह संदेश कैसे दे कि उसकी तेल आपूर्ति प्रभावित नहीं होगी।

⚔️ नतीजा – युद्ध का नया चेहरा

यह हमला दिखाता है कि यूक्रेन युद्ध अब सिर्फ जमीनी लड़ाई नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ऊर्जा युद्ध (Energy War) में बदल चुका है।

  • जहां एक ओर सैनिक मोर्चे पर लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तेल, गैस और बिजली संयंत्र जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर इस जंग के नए मोर्चे बन चुके हैं।
  • और इसकी आंच सिर्फ रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरा विश्व, खासकर तेल आयातक देश, इसे महसूस कर रहे हैं।