उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। चिंता की बात यह है कि हालिया घटनाएं ज्यादातर देर रात और तड़के घट रही हैं, जब लोग गहरी नींद में होते हैं और संभलने का कोई मौका नहीं मिलता।
🗓️ हाल की बड़ी घटनाएं
- 6 अगस्त – पौड़ी: सुबह 5 बजे आपदा, भारी नुकसान।
- 24 अगस्त – थराली: रात 1 बजे बादल फटा, तबाही मची।
- 15 सितंबर – देहरादून: रात 1:30 बजे से सुबह तक अतिवृष्टि, 26 मौतें, 13 लोग लापता।
- 18 सितंबर – चमोली (नंदानगर): रात 2 बजे बादल फट गया।
अब तक इन आपदाओं में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
🌧️ क्यों हो रही हैं रात में आपदाएं?
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि
- रात और तड़के कूलिंग ज्यादा होती है,
- अगर लो प्रेशर की स्थिति बने तो बारिश की संभावना बढ़ जाती है।
- 11 बजे रात से सुबह 5 बजे तक का समय अतिवृष्टि और बादल फटने की घटनाओं के लिए सबसे अनुकूल होता है।
⚠️ लोगों पर दोहरी मार
- अंधेरे में अचानक आपदा आने पर बचाव के प्रयास मुश्किल हो जाते हैं।
- लोग घरों में फंसे रह जाते हैं और बाहर निकलने का मौका नहीं मिलता।
- जानमाल का नुकसान कई गुना बढ़ जाता है।
📢 क्या है आगे की राह?
विशेषज्ञ मानते हैं कि
- आपदा प्रबंधन तंत्र को नाइट अलर्ट सिस्टम और लोकल वार्निंग नेटवर्क को और मजबूत करना होगा।
- संवेदनशील इलाकों में मौसम की 24×7 मॉनिटरिंग जरूरी है।
- ग्रामीण इलाकों में आपदा से बचाव की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।