पहाड़ों पर मौत की बारिश: दार्जिलिंग में 28 लोगों की जान गई, कई अब भी लापता

उत्तर बंगाल का स्वर्ग अब आपदा का केंद्र बना, सैकड़ों पर्यटक फंसे, भूटान ने ममता सरकार को दिया अलर्ट

कभी “क्वीन ऑफ हिल्स” कहा जाने वाला दार्जिलिंग आज मौत, मलबे और मातम का शहर बन चुका है। भारी बारिश और भूस्खलन से यहां कम से कम 28 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अब भी लापता हैं।
भूस्खलन इतना भीषण था कि दर्जनों घर जमींदोज हो गए, सड़कें बह गईं और सैकड़ों पर्यटक होटलों में फंसे रह गए।

शनिवार रात से शुरू हुई बारिश ने महज 12 घंटे में 300 मिलीमीटर से अधिक पानी बरसा दिया, जिससे मिरिक, कालिम्पोंग और दार्जिलिंग की पहाड़ियों में कई जगह जमीन खिसक गई।
राज्य सरकार ने पूरे उत्तर बंगाल क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी कर दिया है, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को हाई अलर्ट पर रखा गया है।

🌧️ बारिश और भूस्खलन का कहर

मिरिक और दार्जिलिंग पहाड़ियों में लगातार बारिश के कारण मिट्टी और चट्टानों के बड़े-बड़े हिस्से खिसक गए।
भूस्खलन की वजह से कई गांव पूरी तरह कट गए हैं और बिजली व मोबाइल नेटवर्क ठप हैं।
दुधिया का लौह पुल भी ढह गया, जिससे पहाड़ों का सड़क संपर्क लगभग खत्म हो गया है।

स्थानीय प्रशासन ने बताया कि भूस्खलन में मरने वालों में कई बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
कई इलाकों में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए सेना और NDRF की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं।

⚠️ भूटान से आई नई चेतावनी

इस प्राकृतिक आपदा के बीच एक और खतरा मंडरा रहा है — भूटान के ताला हाइड्रोपावर बांध से।
भूटान के जल विज्ञान एवं मौसम विज्ञान केंद्र (NCHM) ने पश्चिम बंगाल सरकार को चेतावनी दी है कि
बांध के गेट तकनीकी खराबी के कारण नहीं खुल पा रहे, जिससे पानी बांध की ऊपरी सतह से बहने लगा है।

अगर बांध से पानी अचानक छोड़ा गया, तो संकोश और तीस्ता नदी के किनारे बसे दर्जनों गांवों में बाढ़ आ सकती है।
भूटान ने आधिकारिक रूप से ममता बनर्जी सरकार को संभावित प्रभाव के लिए तैयार रहने को कहा है।

🏥 ममता बनर्जी ने संभाली मोर्चा

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को इमरजेंसी बैठक बुलाई और कहा —

“हमें यह जानकर गहरा दुख है कि हमने अपने कई भाई-बहनों को खो दिया है।
मैं मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं और हर संभव सहायता भेज रही हूं।”

ममता बनर्जी आज दार्जिलिंग और मिरिक के प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगी।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर मृतक परिवार को मुआवजा और फंसे हुए पर्यटकों के लिए राहत शिविर उपलब्ध कराए जाएं।

🏞️ दार्जिलिंग — जहां सन्नाटा बोलता है

गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (GTA) ने
टाइगर हिल, बतासिया लूप और रॉक गार्डन जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है।
दार्जिलिंग और घुम के बीच चलने वाली टॉय ट्रेन सेवा भी निलंबित कर दी गई है।

स्थानीय निवासी बताते हैं कि बारिश थमने के बाद भी पहाड़ियों पर लगातार दरारें बढ़ रही हैं,
कई घर अब भी फिसलने के खतरे में हैं। बिजली आपूर्ति ठप है और पीने के पानी की भारी किल्लत है।

💬 एक स्थानीय निवासी की जुबानी

मिरिक निवासी सुभाष छेत्री ने बताया —

“हमने ऐसी बारिश पहले कभी नहीं देखी। आधी रात को जमीन हिलने लगी,
हम भागे तो देखा, सामने का पूरा घर मलबे में बदल चुका था।”

🔍 कहां क्या हालात

  • मौतें: अब तक 28 पुष्ट, 40 से अधिक लापता
  • घायल: 60 से ज्यादा
  • बिजली आपूर्ति: 70% इलाकों में ठप
  • सड़क संपर्क: एनएच-110 और एनएच-55 के कई हिस्से बंद
  • पर्यटक: करीब 300 फंसे, जिनमें 80 विदेशी
  • भूटान बांध: ओवरफ्लो, हाई अलर्ट जारी

निष्कर्ष

दार्जिलिंग, जो कभी हनीमून और सुकून की पहचान था,
आज तबाही, डर और अनिश्चितता का प्रतीक बन गया है।
बारिश थम चुकी है, लेकिन खतरा अभी टला नहीं।
भूटान के बांध से आने वाला पानी इस पहाड़ी त्रासदी को और गहरा सकता है।
सरकारें सक्रिय हैं, लेकिन पहाड़ों का ज़ख्म लंबे समय तक भरेगा नहीं।