पश्चिम बंगाल की राजनीति इन दिनों किसी बड़े चुनावी संग्राम से कम नहीं लग रही। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी TMC में बगावत की चिंगारी भड़क चुकी है और इस चिंगारी का सबसे बड़ा चेहरा बने हैं—निलंबित TMC विधायक हुमायूं कबीर।
कबीर के हालिया बयानों और उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने बंगाल की राजनीति की दिशा और समीकरणों को एक झटके में गर्म कर दिया है।
🔥 कौन हैं हुमायूं कबीर और क्यों चर्चा में हैं?
हुमायूं कबीर TMC के विधायक थे, लेकिन पिछले हफ्ते पार्टी से निलंबित कर दिए गए।
इसके बाद उन्होंने:
- मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद की नींव रखने’ का दावा कर सनसनी फैलाई
- TMC के कोर वोट बैंक (मुस्लिम—27%) में सेंध लगाने की कोशिश का खुला ऐलान किया
- AIMIM की तर्ज पर नई पार्टी बनाने की घोषणा कर दी
- खुद को “बंगाल का ओवैसी” बताया
- और अब दावा किया है कि 2026 विधानसभा चुनाव में वही किंगमेकर बनेंगे
कबीर ने मीडिया से बातचीत में कहा—
“जो भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेगा, उसे मेरे विधायकों की जरूरत पड़ेगी।”
🗳️ 2026 चुनाव: कबीर की चुनावी गणित और ‘135 सीटों’ का दावा
कबीर का कहना है कि वह:
- 135 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे
- नई पार्टी को इतना मजबूत बना देंगे कि
TMC हो या BJP — किसी को भी पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा - और ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी सरकार गठन का निर्णायक वोट देगी
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में सीटों पर दावेदारी करना आसान नहीं, लेकिन कबीर एक ध्रुवीकरण-आधारित मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति को हवा दे रहे हैं, जो आने वाले चुनावों में शोर मचा सकती है।
🤝 ओवैसी से गठबंधन?—क्या है सच
कबीर ने दावा किया है कि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से उनकी बात हुई है।
उनके शब्दों में:
“ओवैसी ने मुझे जुबान दी है कि वह हैदराबाद के ओवैसी हैं और मैं बंगाल का ओवैसी हूं।”
लेकिन दूसरी तरफ,
- ओवैसी इससे इनकार कर चुके हैं
- AIMIM ने आधिकारिक तौर पर किसी भी गठबंधन की पुष्टि नहीं की है
इसलिए कबीर का यह बयान राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास भी माना जा रहा है।
📅 नई पार्टी की लॉन्चिंग—22 दिसंबर को बड़ा शो
कबीर ने कहा है कि:
- 10 दिसंबर को वे कोलकाता में कमेटी बनाएंगे
- 22 दिसंबर को लाखों समर्थकों की रैली के साथ नई पार्टी लॉन्च करेंगे
नए दल का नाम क्या होगा?
कभी कहा गया—“नेशनल कंज़र्वेटिव पार्टी”
लेकिन कबीर कहते हैं—
“22 दिसंबर के बाद सब पता चल जाएगा।”
🗳️ क्या वाकई TMC का वोट बैंक टूटेगा?
TMC का कोर वोट बैंक—मुस्लिम समुदाय (27%)
कबीर का पूरा फोकस इसी जनसमूह पर है।
लेकिन चुनौती यह है:
- TMC इस वोट बैंक पर 15+ वर्षों से मजबूत पकड़ बनाए हुए है
- AIMIM भी 2021 में बंगाल में लगभग शून्य पर सिमट गया था
- कांग्रेस व वामपंथियों का भी मुस्लिम आधार सीमित हो चुका है
इसलिए कबीर को इस वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए तेज संघर्ष करना होगा।
🏛️ TMC का पलटवार: “यह दिवास्वप्न है”
TMC ने कबीर के बड़े-बड़े दावों पर तीखा व्यंग्य किया है।
TMC महासचिव अरूप चक्रवर्ती ने कहा—
“उन्हें पहले अपनी जमानत बचानी चाहिए। सरकार बनाने की बातें उनकी हताशा दिखाती हैं।”
TMC की प्रतिक्रिया से साफ है कि पार्टी कबीर को कोई गंभीर खतरा नहीं मान रही, लेकिन उनके बयानों ने चुनावी माहौल में हलचल जरूर बढ़ाई है।
⚡ निष्कर्ष: कबीर का ‘ओवैसी मॉडल’—राजनीति या रणनीति?
हुमायूं कबीर का दावा कि वे “बंगाल के ओवैसी” बनेंगे और “2026 में किंगमेकर” बनेंगे—
राजनीतिक दृष्टि से साहसिक, लेकिन जमीनी हकीकत से दूर माना जा रहा है।
फिर भी:
- नई पार्टी
- मुस्लिम वोटों पर दावा
- TMC और BJP दोनों पर राजनीतिक हमला
- और विपक्ष की संभावित असंतुष्टि
इन सबके मिलकर यह साफ बताते हैं कि
कबीर आने वाले बंगाल चुनाव में शोर ज़रूर मचाएंगे।
लेकिन क्या वे किंगमेकर बन पाएंगे?
यह तय करेगा—
मतदाता, जमीन का सच और 2026 का चुनावी गणित।
