क्या यही स्मार्ट सिटी है? गुरुग्राम में खुले में कचरा और शहरी योजना पर उठे सवाल

गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड पर एक नया ‘पर्यावरण हितैषी’ स्थान सामने आया है — जहां ना कोई डस्टबिन है, ना सफाई कर्मचारी, फिर भी हर दिन “जैव विविधता” बढ़ रही है। इस क्षेत्र को हाल ही में कचरा निपटान और आवारा जानवरों के भोजन स्थल के रूप में विकसित किया गया है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में यह इलाका खुले कचरे और गंदगी से अटा पड़ा है। प्लास्टिक, सड़ी-गली सब्जियां, पैक्ड फूड और घरेलू कचरे के ढेर यहां आसानी से देखे जा सकते हैं। आवारा कुत्ते, गायें और पक्षी यहां रोज़ भोजन के लिए आते हैं — और यही अब इनकी जीवनशैली बन चुकी है।

एक स्थानीय निवासी ने आवाज़ प्लस से बात करते हुए तंज कसा:

“अब घर के कचरे को अलग-अलग करने की जरूरत नहीं है। बस लाओ और यहीं फेंक दो, जानवर खुद ही छांट लेंगे कि क्या खाना है और क्या नहीं।”

इस अजीबोगरीब स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? नगर निगम या स्थानीय प्रशासन?
कई नागरिकों ने सोशल मीडिया के ज़रिए अपनी नाराज़गी जताई है और कहा कि ऐसा लगता है जैसे “गुरुग्राम में हर गली एक लैंडफिल बनती जा रही है।”

विशेष बात यह है कि यह कोई इकलौती जगह नहीं है — गुरुग्राम के कई हिस्सों में इसी तरह के ‘अनौपचारिक कचरा स्थल’ उभर चुके हैं। सवाल यह उठता है कि क्या यह नगर निगम की नाकामी है या जानबूझ कर किया गया उपेक्षा का मामला?

क्या कहता है प्रशासन?
अब तक इस स्थल को लेकर कोई आधिकारिक बयान या सफाई नहीं आई है।
स्थानीय पार्षदों और पर्यावरण समूहों ने मांग की है कि इस तरह के स्थलों की तुरंत सफाई की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो।

निष्कर्ष:
गुरुग्राम जैसे स्मार्ट सिटी बनने के दावों के बीच, इस तरह की तस्वीरें हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हम वास्तव में एक स्वच्छ और सुनियोजित शहर की ओर बढ़ रहे हैं, या फिर सिर्फ योजनाओं और पोस्टरों तक ही सीमित हैं?

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