महिला बलरामपुर के पचपेड़वा क्षेत्र स्थित विमला विक्रम अस्पताल में भर्ती थी। 25 और 26 जुलाई की रात को ICU में ड्यूटी पर मौजूद कंपाउंडर योगेश पांडेय ने उसे इंजेक्शन देकर बेहोश किया और फिर बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया। जब महिला को होश आया, तो उसने अपनी आपबीती परिजनों को बताई, जिन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया।
पुलिस की कार्रवाई:
पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। एसपी विकास कुमार के अनुसार, आरोपी योगेश के खिलाफ रेप और महिला की सहमति के बिना इंजेक्शन देने जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि वारदात ICU में उस समय हुई, जब महिला पूरी तरह अकेली और अचेत अवस्था में थी।
सामाजिक और संस्थागत सवाल:
इस घटना ने समाज और चिकित्सा संस्थानों की नैतिकता पर भी सवाल खड़े किए हैं। ICU, जहां मरीज़ सबसे अधिक असहाय और डॉक्टरों की दया पर निर्भर होते हैं, वहां ऐसा घिनौना अपराध इस बात की ओर इशारा करता है कि निजी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी कितनी लचर हो सकती है।
निष्कर्ष:
यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि विश्वासघात है — उस भरोसे के साथ जो हम अस्पताल और डॉक्टरों पर करते हैं। अब जरूरत है कि प्रशासन इस मामले में तेजी से न्याय दिलाए और अस्पताल प्रबंधन पर भी कड़ी कार्रवाई करे, ताकि आने वाले समय में कोई भी महिला इलाज के नाम पर इस प्रकार की अमानवीयता की शिकार न हो।