“आमार सोनार बांग्ला” पर असम में बवाल! कांग्रेस नेता पर बांग्लादेश प्रेम का आरोप, BJP ने मांगी जांच

असम के बराक वैली के श्रीभूमि इलाके में कांग्रेस सेवा दल की एक बैठक के दौरान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिधु भूषण दास द्वारा
आमार सोनार बांग्ला” गाने से राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया है।

बीजेपी ने इसे “बांग्लादेश प्रेम” बताते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है,
वहीं कांग्रेस का कहना है कि यह
रवींद्रनाथ टैगोर का रवींद्रसंगीत था,
न कि बांग्लादेश का राष्ट्रगान।

🎵 क्या हुआ था श्रीभूमि की बैठक में

सोमवार को श्रीभूमि (पूर्व करीमगंज) में कांग्रेस सेवा दल की स्थानीय बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक की शुरुआत में कांग्रेस नेता बिधु भूषण दास मंच पर आए और “आमार सोनार बांग्ला” गीत गाने लगे।
सभा में मौजूद कई लोगों ने उनका वीडियो रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर डाल दिया।

कुछ ही घंटों में यह वीडियो वायरल हो गया,
जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया।

⚔️ बीजेपी ने बताया राष्ट्रगान, मांगी जांच

असम के मंत्री और बीजेपी नेता कृष्णेंदु पॉल ने इस घटना को
“राजनीतिक मर्यादा का गंभीर उल्लंघन” बताया।
उन्होंने कहा —

“कांग्रेस का सबकुछ उल्टा है।
उन्हें यह तक नहीं पता कि कब और क्या गाना है।
मैंने वीडियो देखा है —
पुलिस से जांच की मांग करूंगा।”

बीजेपी ने सवाल उठाया कि

“क्या कांग्रेस अब भारत में राजनीतिक कार्यक्रमों की शुरुआत विदेशी राष्ट्रगान से करेगी?”

पार्टी ने आरोप लगाया कि यह कांग्रेस के “अस्पष्ट राष्ट्रभाव” और “तुष्टिकरण की राजनीति” का उदाहरण है।

🕊️ कांग्रेस का पलटवार — ‘यह टैगोर का गीत है, न कि राष्ट्रगान’

कांग्रेस सेवा दल के पूर्व अध्यक्ष बिधु भूषण दास ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा —

“मैंने रवींद्रनाथ टैगोर का रवींद्रसंगीत ‘आमार सोनार बांग्ला’ गाया था,
न कि किसी देश का राष्ट्रगान।
यह गीत बंगाल की मिट्टी और मातृभूमि के प्रति प्रेम का प्रतीक है।”

कांग्रेस के जिला मीडिया प्रमुख शहादत अहमद चौधरी ने भी कहा कि —

“दास ने गीत शुरू करने से पहले ही कहा था कि वह टैगोर का गीत गाने जा रहे हैं।
बीजेपी जानबूझकर सांस्कृतिक भावनाओं को राजनीतिक रंग दे रही है।”

उन्होंने आगे कहा —

“बिधु भूषण दास हर स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराते हैं,
ऐसे में उन्हें राष्ट्रविरोधी ठहराना सरासर गलत है।
यह बस अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव था।”

📜 ‘आमार सोनार बांग्ला’ का इतिहास

आमार सोनार बांग्ला’ गीत
रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा 1905 में लिखा गया था।
उस समय बंगाल विभाजन के विरोध में यह गीत राष्ट्रवादी भावनाओं का प्रतीक था।
बाद में यही गीत बांग्लादेश का राष्ट्रगान बना,
लेकिन इसकी कविता और भावना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी रही।

इसलिए, इसे गाने का अर्थ जरूरी नहीं कि
किसी देशभक्ति के विरुद्ध हो —
यह गीत बंगाली संस्कृति का एक अहम हिस्सा है।

🌍 स्थानीय पृष्ठभूमि

श्रीभूमि (पूर्व में करीमगंज) इलाका
बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ है और
यहां की आबादी का बड़ा हिस्सा बांग्लाभाषी है।
यहां टैगोर के गीत, नाटक और कविताएं
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अक्सर गाए जाते हैं।
इसी वजह से कांग्रेस के स्थानीय नेताओं का तर्क है कि
गीत गाना सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा था,
राजनीतिक बयान नहीं

राजनीतिक गर्मी बढ़ी

इस विवाद के बाद असम की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है।
बीजेपी कांग्रेस पर
“विदेशी राष्ट्रगान गाने” का आरोप लगा रही है,
वहीं कांग्रेस “सांस्कृतिक असहिष्णुता” की बात कर रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि
यह मामला सिर्फ एक गीत का नहीं,
बल्कि बंगाल की सांस्कृतिक पहचान और
राजनीतिक ध्रुवीकरण का टकराव है।

🧭 निष्कर्ष

“आमार सोनार बांग्ला” का अर्थ भले ही
“मेरे स्वर्णिम बंगाल” होता हो,
लेकिन आज यह असम की राजनीति में
स्वर्णिम विवाद बन गया है।
बीजेपी ने इसे राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाया,
जबकि कांग्रेस इसे
सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की आज़ादी बता रही है।

राजनीतिक हलकों में अब यह सवाल गूंज रहा है —
क्या एक गीत गाना देशभक्ति पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है?