इस मामले में उत्तर प्रदेश के महाराजगंज में एक नाबालिग (कक्षा 5 के छात्र) के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म के गंभीर आरोप एक ही परिवार के चार सदस्यों पर लगे हैं। पीड़ित के पिता, जो एक कारोबारी हैं, ने आरोप लगाया है कि आरोपितों ने दुष्कर्म का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया और वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई बार दुष्कर्म किया। साथ ही, डराकर धन उगाही भी की गई।
मामले का सारांश
- घटना: पीड़ित के पिता ने अपनी कॉलोनी के एक परिवार के चार सदस्यों पर नाबालिग बेटे के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म, वीडियो रिकॉर्डिंग और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया है। धमकी देकर बार-बार दुष्कर्म और धन उगाही की गई।
- कानूनी कार्रवाई: सोनौली पुलिस ने चारों आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पीड़ित का मेडिकल परीक्षण हो चुका है, और 11 अगस्त 2025 (सोमवार) को मजिस्ट्रेट के सामने पीड़ित का कलमबंद बयान दर्ज होगा। बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
- समुदाय की प्रतिक्रिया: कॉलोनी में कई बार पंचायत हुई, जिसमें 10 लाख नेपाली रुपये के भुगतान पर सुलह का प्रयास हुआ। समुदाय ने घटना की निंदा में पत्र भी जारी किया। बाद में, कार्रवाई न होने पर पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री जनता दर्शन और एसपी को प्रार्थना पत्र दिया, जिसके बाद केस दर्ज हुआ।
- पुलिस पर आरोप: पीड़ित के पिता ने सोनौली कोतवाली की एक महिला सब-इंस्पेक्टर पर आरोपितों के पक्ष में केस को प्रभावित करने का आरोप लगाया। दावा है कि वह आरोपित के मकान में किराए पर रहती है और मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रही है।
- पुलिस का बयान: सोनौली के स्टेशन ऑफिसर अजीत प्रताप सिंह ने कहा कि केस दर्ज कर जांच शुरू हो गई है। मेडिकल परीक्षण पूरा है, और मजिस्ट्रेट के सामने बयान के बाद विवेचना के आधार पर कार्रवाई होगी।
महत्वपूर्ण बिंदु
- अपराध की गंभीरता: नाबालिग के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग और धन उगाही के आरोप गंभीर हैं। यह भारतीय कानून के तहत भादंसं और POCSO एक्ट के तहत अपराध है। वीडियो रिकॉर्डिंग से साइबर अपराध का पहलू भी जुड़ता है।
- कानूनी प्रक्रिया: पुलिस ने मेडिकल परीक्षण और बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की है, जो मानक प्रक्रिया है। मजिस्ट्रेट के सामने बयान और मेडिकल रिपोर्ट जांच में महत्वपूर्ण होंगे।
- पुलिस पर सवाल: महिला एसआई पर लगे आरोप गंभीर हैं। यदि सत्य पाए गए, तो यह जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है। इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों तक पहुंच चुकी है, जो जांच को प्रभावित कर सकती है।
- समुदाय का रवैया: पंचायत और सुलह के प्रयास दर्शाते हैं कि समुदाय ने पहले मामले को आपसी समझौते से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन कानूनी कार्रवाई की मांग बढ़ने पर पुलिस को तहरीर दी गई।
आगे की संभावनाएं
- मजिस्ट्रेट के सामने पीड़ित का बयान और मेडिकल रिपोर्ट से यह तय होगा कि आरोपितों के खिलाफ कितने ठोस सबूत हैं।
- महिला एसआई के खिलाफ आरोपों की जांच होनी चाहिए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
- इस तरह के मामलों में पीड़ित और परिवार को मानसिक और कानूनी सहायता की जरूरत होती है, जिसे सुनिश्चित करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
