जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डर सब-डिवीजन के चिशोती गांव में मचैल माता मंदिर के पास बुधवार को बादल फटने से भारी तबाही मच गई। यह घटना उस समय हुई जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु वार्षिक मचैल माता यात्रा में शामिल होने के लिए यहां एकत्रित थे। बादल फटने के तुरंत बाद अचानक बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए, जिससे टेंट, ठहरने की व्यवस्थाएं और गांव का बड़ा हिस्सा बह गया।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस आपदा में कम से कम 12 लोगों की मौत की आशंका है, जबकि कई लोग लापता हैं। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बचाव कार्य बेहद चुनौतीपूर्ण हो गया है। प्रभावित इलाके तक जाने वाली मुख्य सड़क बह गई है, जिसके चलते एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की डेल्टा फोर्स की टीमों को पैदल ही कठिन रास्तों से गुजरना पड़ रहा है।
पिछले 15 दिनों से पुंछ, राजौरी और डोडा सहित आसपास के क्षेत्रों में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे भूस्खलन और नदियों का जलस्तर बढ़ा है। हजारों की संख्या में यात्री और स्थानीय लोग फंसे होने की आशंका जताई जा रही है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए उपायुक्त किश्तवाड़ पंकज कुमार शर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार संपर्क बनाए रखा है। रेड क्रॉस की टीम राहत सामग्री के साथ घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। प्रशासन ने जनहानि का आकलन शुरू कर दिया है और घायलों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है।
मचैल माता यात्रा, देवी दुर्गा के स्वरूप माता चंडी को समर्पित वार्षिक तीर्थयात्रा है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। इस त्रासदी ने यात्रा और आसपास के क्षेत्र में अफरा-तफरी मचा दी है, जबकि बचाव दल जीवन बचाने के लिए समय से दौड़ लगा रहे हैं।