प्रसून जोशी: अल्मोड़ा से बॉलीवुड तक का सफर, 17 की उम्र में लिखी किताब और गानों से बनाई खास पहचान

भारतीय सिनेमा और विज्ञापन की दुनिया का बड़ा नाम प्रसून जोशी आज (16 सितंबर) अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में 1971 में जन्मे प्रसून का बचपन से ही साहित्य और रचनात्मकता की ओर गहरा झुकाव रहा। उन्होंने सिर्फ 17 साल की उम्र में ‘मैं और वो’ नाम की किताब लिख डाली, जो उनकी लेखनी और सोच की गहराई को दर्शाती है।

उन्होंने आगे चलकर भौतिक विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन और फिर एमबीए की पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रसून दिल्ली में एक विज्ञापन कंपनी से जुड़े और धीरे-धीरे उन्होंने अपनी पहचान एक क्रिएटिव मास्टरमाइंड के रूप में बनाई। अंतरराष्ट्रीय विज्ञापन कंपनी ‘मैकऐन इरेक्शन’ में उन्होंने कार्यकारी अध्यक्ष (Executive Chairman) की अहम जिम्मेदारी निभाई।

बॉलीवुड की ओर उनका सफर भी उतना ही खास रहा। गीतकार, पटकथा लेखक और संवाद लेखक के रूप में प्रसून जोशी ने हिंदी फिल्मों को कई यादगार गाने और डायलॉग्स दिए। उनके लिखे गीतों में भावनाओं की गहराई, सादगी और असर दिखता है, जिसने दर्शकों को गहराई तक प्रभावित किया।

सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित न रहकर उन्होंने कई बड़े ब्रांड्स के लिए आइकॉनिक टैगलाइन भी लिखीं, जिन्हें आज तक लोग याद करते हैं। उनकी लेखनी में समाज, भावनाओं और जमीनी जुड़ाव की झलक साफ देखी जा सकती है।

उनके योगदान को देखते हुए 11 अगस्त 2017 को उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह उनके करियर का एक बड़ा पड़ाव था, जहां उन्हें भारतीय सिनेमा के कंटेंट की दिशा तय करने का जिम्मा मिला।

👉 प्रसून जोशी सिर्फ एक गीतकार या लेखक नहीं, बल्कि भारत की नई सोच और रचनात्मकता का प्रतीक हैं। उनका जीवन इस बात का सबूत है कि अगर जुनून और लगन हो तो शब्दों की ताकत से किताब से लेकर फिल्म और विज्ञापन तक हर जगह पहचान बनाई जा सकती है।