बेंगलुरु में महिला को 3 मिनट की देरी पर रैपिडो ड्राइवर ने दी धमकी, वीडियो वायरल: शहरी महिलाओं की सुरक्षा पर फिर उठा सवाल

बेंगलुरु की एक महिला ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह एक रैपिडो ऑटो ड्राइवर द्वारा मौखिक रूप से धमकाए जाने की बात बताती है। घटना तब हुई जब महिला ऑटो में बैठने से पहले अपनी चाबियां ढूंढ रही थी, जिसके कारण 3 मिनट की देरी हो गई। इस मामूली देरी पर ड्राइवर ने न केवल 20 रुपये अतिरिक्त की मांग की, बल्कि धमकी भरे लहजे में कहा — “देखता हूं कैसे जाते हो।”

महिला ने यह राशि भयवश दे दी, क्योंकि ड्राइवर ने उसे एक तरह से धमकाने वाला रवैया दिखाया। वीडियो वायरल होने के बाद इसे 4.96 लाख से अधिक व्यूज़ मिल चुके हैं और यह घटना भारत के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दे चुकी है।

सोशल मीडिया पर बंटी राय

इस मामले पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली:

  • ड्राइवर के समर्थक कह रहे हैं कि इंतजार 10 मिनट से अधिक था और महिला बहस कर रही थी, जिसने भुगतान से बचने की कोशिश भी की, इसलिए 20 रुपये लेना जायज़ था।
  • आलोचक ड्राइवर के लहजे को “अहंकारी और भयावह” बता रहे हैं और रैपिडो से अपने ड्राइवरों को सौम्य व्यवहार (soft skills) की ट्रेनिंग देने की मांग कर रहे हैं।

राइड-हेलिंग में तनाव क्यों?

यह घटना शहरी महिलाओं और खासकर साझा यातायात सेवाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं में असुरक्षा की भावना को फिर से उजागर करती है।
कई उपयोगकर्ताओं ने यह सुझाव भी दिया कि राइड-हेलिंग प्लेटफ़ॉर्म्स में ऑटोमैटिक वेटिंग चार्जेस का प्रावधान होना चाहिए, ताकि ऐसे झगड़ों और विवादों से बचा जा सके।

महिलाओं की सुरक्षा: एक गंभीर मुद्दा

2023 के सर्वेक्षणों के अनुसार:

  • 30% महिलाएं कैब या राइड-हेलिंग सेवाओं में उत्पीड़न की शिकार होती हैं

इससे पता चलता है कि:

  • प्लेटफ़ॉर्म्स पर ड्राइवरों की कड़ी स्क्रीनिंग और अनुशासन की जरूरत है।
  • ग्राहक सेवा और विवाद निपटान प्रोटोकॉल मजबूत किए जाने चाहिए।
  • और, महिलाओं के लिए सुरक्षित यात्रा विकल्पों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

निष्कर्ष

यह घटना केवल एक मामूली विवाद नहीं है, बल्कि एक बड़े सामाजिक और सिस्टम दोष को उजागर करती है – महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी का अभाव। रैपिडो और अन्य राइड-हेलिंग कंपनियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे मामलों को रोका जा सके।