गुजरात में रिश्तों का खूनी खेल: 15 साल के देवर ने भाई को मारा, प्रेग्नेंट भाभी का रेप कर हत्या; मां ने दफनाए शव

गुजरात के जूनागढ़ जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में 16 अक्टूबर 2024 को एक ऐसी क्रूर और झकझोर देने वाली घटना घटी, जिसने पूरे समाज को स्तब्ध कर दिया। एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़के ने पहले अपने बड़े भाई की निर्मम हत्या की, फिर डरी हुई 6 महीने की गर्भवती भाभी के साथ दुष्कर्म किया और अंत में उसकी भी बेरहमी से हत्या कर दी। इतना ही नहीं, इस जघन्य अपराध को छिपाने के लिए आरोपी की मां ने भी अपने छोटे बेटे का साथ दिया और दोनों लाशों को घर के पास ही एक गड्ढे में दफना दिया। यह परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला था, जो गुजरात में बस गया था। पुलिस ने शुक्रवार (1 नवंबर 2024) को लाशें बरामद कीं, जिसके बाद पूरी सच्चाई सामने आई। यह घटना न केवल पारिवारिक रिश्तों की पवित्रता पर सवाल उठाती है, बल्कि नाबालिगों में बढ़ते क्रोध, हिंसा और यौन विकृति की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है।

घटना का क्रमबद्ध विवरण:

  1. परिवारिक पृष्ठभूमि और विवाद:
  • पीड़ित दंपति बिहार के खगड़िया जिले से गुजरात के विसावदर तहसील के एक गांव में रहते थे। बड़ा भाई (मृतक) और उसकी पत्नी (गर्भवती भाभी) के साथ छोटा भाई (15 वर्षीय आरोपी) भी रहता था। आरोपी लड़का स्थानीय एक डेयरी में काम करता था।
  • पुलिस पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि वह अपने बड़े भाई से बेहद नाराज था। कथित तौर पर बड़ा भाई उसे अक्सर पीटता था, उसके कमाए पैसे छीन लेता था और घरेलू कामों में तंग करता था। यह लंबे समय से चल रहा विवाद था, जो 16 अक्टूबर को हिंसक रूप ले लिया।

बड़े भाई की हत्या:

  • 16 अक्टूबर की शाम को घर पर अकेले रहते हुए आरोपी ने क्रोध में आकर लोहे की एक रॉड उठाई और अपने बड़े भाई के सिर पर कई वार किए। हमला इतना क्रूर था कि भाई का सिर बुरी तरह क्षत-विक्षत हो गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसने तब तक वार जारी रखे जब तक भाई की सांसें नहीं थम गईं

गर्भवती भाभी पर अत्याचार:

  • हत्या होते देख भाभी (जो 6 महीने की गर्भवती थी) डर से कांपने लगी। उसने आरोपी (अपने देवर) से दया की गुहार लगाई और जान बचाने की विनती की। लेकिन आरोपी ने उसकी यह गुजारिश ठुकरा दी और कहा कि यदि वह उसके साथ शारीरिक संबंध बनाएगी, तो उसे छोड़ देगा।
  • डर के मारे भाभी ने हामी भर दी, लेकिन आरोपी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। दुष्कर्म के बाद आरोपी को लगा कि भाभी पुलिस को सब बता देगी या परिवार को खुलासा कर देगी, जिससे वह पकड़ा जाएगा। इसलिए, उसने भाभी के पेट पर घुटने से कई जोरदार वार किए, जिससे भ्रूण गर्भाशय से बाहर निकल आया। इसके बाद उसने भाभी का गला घोंट दिया, जिससे उसकी भी मौत हो गई।

लाशों को छिपाना और मां की संलिप्तता:

  • हत्याओं के बाद आरोपी ने अपनी मां को बुलाया, जो घर पर मौजूद थी। मां ने छोटे बेटे की मदद की और दोनों ने लाशों को घर के पास ही एक 5 फीट गहरे गड्ढे में दफना दिया। लाशें नग्न अवस्था में थीं, क्योंकि आरोपी ने कपड़ों को जला दिया था ताकि कोई सबूत न रहे।
  • मां ने बिहार में रहने वाले मृतक भाभी के मायके वालों को फोन पर झूठा आश्वासन दिया कि दंपति की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। जब मायके वालों ने हादसे की तस्वीरें मांगीं, तो अलग-अलग बहाने बनाए गए।

पुलिस जांच और खुलासा:

  • शिकायत और शुरुआती जांच: घटना के 15 दिनों बाद, 31 अक्टूबर को मृतक भाभी के मायके वाले (बिहार के खगड़िया से) विसावदर पुलिस थाने पहुंचे। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी और दामाद का संपर्क टूट गया है और सास-ससुर के बहानों पर शक हो रहा है। पुलिस ने हिम्मतनगर थाने से संपर्क किया, जहां कोई दुर्घटना दर्ज नहीं थी।
  • पूछताछ और कबूलनामा: पुलिस ने आरोपी लड़के और उसकी मां को हिरासत में लिया। पूछताछ में 15 वर्षीय लड़के ने सारी वारदात कबूल ली, जिसमें भाई की हत्या, भाभी का दुष्कर्म और उसकी हत्या शामिल है। मां ने लाशें दफनाने में मदद करने की बात स्वीकारी।
  • लाशों की बरामदगी: शुक्रवार को पुलिस ने गड्ढा खोदा, जहां से क्षत-विक्षत लाशें मिलीं। पुरुष की लाश का सिर बुरी तरह फटा हुआ था, महिला नग्न थी और उसके पेट से भ्रूण बाहर निकला हुआ था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हत्या और दुष्कर्म की पुष्टि हो रही है, हालांकि मेडिकल जांच का इंतजार है।
  • कानूनी कार्रवाई: आरोपी नाबालिग होने के कारण जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत विशेष अदालत में पेश किया जाएगा। मां पर सबूत नष्ट करने और अपराध में सहायता के आरोप हैं। मामला IPC (हत्या, दुष्कर्म), POCSO एक्ट और गुजरात पुलिस एक्ट के तहत दर्ज है।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक संदर्भ:

  • नाबालिग अपराधियों का उदय: यह घटना गुजरात में हाल के अन्य मामलों (जैसे सूरत में भाई-बहन के बीच दुष्कर्म) की याद दिलाती है, जहां नाबालिग अपराधी हिंसा और यौन अपराधों में लिप्त हो रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, पारिवारिक हिंसा, आर्थिक तंगी, मोबाइल/पॉर्न का प्रभाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं इसके पीछे के कारण हो सकते हैं।
  • महिलाओं और गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव: गर्भवती महिला पर इतनी क्रूरता (गर्भपात सहित) न केवल शारीरिक हिंसा है, बल्कि मानसिक यातना भी। यह समाज में महिलाओं की असुरक्षा को रेखांकित करता है, खासकर संयुक्त परिवारों में।
  • परिवारिक विश्वास का टूटना: बिहार से गुजरात प्रवास करने वाले परिवारों में तनाव आम है, लेकिन यह घटना रिश्तों की गहराई को नष्ट करने वाली है। मां की संलिप्तता ने इसे और दर्दनाक बना दिया।

सामाजिक प्रभाव और चिंताएं:

  1. बढ़ते पारिवारिक अपराध: भारत में नाबालिगों द्वारा हत्या और दुष्कर्म के मामले बढ़ रहे हैं (NCRB डेटा के अनुसार 2023 में 10% वृद्धि)। गुजरात जैसे राज्यों में प्रवासी परिवारों में यह समस्या और गंभीर है।
  2. मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी: आरोपी के क्रोध और विकृति के पीछे संभवतः अनट्रीटेड एंगर इश्यूज या ट्रॉमा हो सकता है। समाज में काउंसलिंग की कमी एक बड़ी समस्या है।
  3. महिलाओं की सुरक्षा: गर्भवती महिलाओं पर हमले दुर्लभ नहीं, लेकिन इतनी क्रूरता दुर्लभ है। यह POCSO और घरेलू हिंसा कानूनों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाता है।
  4. सामुदायिक प्रभाव: गांव में दहशत फैल गई है; परिवार के अन्य सदस्यों को भी सुरक्षा की जरूरत है।

सुझाव और समाधान:

कानूनी सख्ती:

  • नाबालिग अपराधियों के लिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को मजबूत करें, जहां सुधार और सजा का संतुलन हो। POCSO के तहत फास्ट-ट्रैक ट्रायल सुनिश्चित करें।
  • परिवारिक हिंसा के मामलों में तुरंत हेल्पलाइन (1098) को सक्रिय रखें।

जागरूकता और शिक्षा:

  • स्कूलों में एंगर मैनेजमेंट, सेक्स एजुकेशन और “गुड टच-बैड टच” कार्यक्रम अनिवार्य करें।
  • प्रवासी परिवारों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता कैंप लगाएं।

सुरक्षा तंत्र:

  • गांवों में महिला हेल्प डेस्क और CCTV स्थापित करें। संदिग्ध गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई के लिए पुलिस को प्रशिक्षित करें।
  • मायके वालों के लिए संपर्क ट्रैकिंग ऐप्स विकसित करें।

मनोवैज्ञानिक सहायता:

  • आरोपी जैसे नाबालिगों के लिए सुधार गृहों में काउंसलिंग अनिवार्य हो। पीड़ित परिवारों (यहां मायके वालों) को फ्री थेरेपी प्रदान करें।
  • आर्थिक सहायता: मृतक परिवार को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था।

सामाजिक जिम्मेदारी:

  • मीडिया और NGOs मिलकर ऐसे मामलों पर बहस छेड़ें। पड़ोसियों को सतर्क रहने की ट्रेनिंग दें।

निष्कर्ष:

यह घटना मानवता की सबसे काली सच्चाई को उजागर करती है—जिस उम्र में बच्चे खेलते हैं, वहां हिंसा और विकृति का साया पड़ गया है। गुजरात पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए समाज को आत्ममंथन करना होगा। बच्चों की मानसिक सेहत, पारिवारिक सद्भाव और कानूनी सतर्कता ही असली हथियार हैं। यदि आप इस मामले के अपडेट, कानूनी प्रक्रिया या समान घटनाओं पर और जानकारी चाहें, तो बताएं।