‘युवा अमिताभ बच्चन की झलक दिखाते हैं अगस्त्य नंदा’, निर्देशक श्रीराम राघवन ने फिल्म ‘इक्कीस’ को लेकर किए बड़े खुलासे, कहा– कच्चापन, सच्चाई और ईमानदारी ही थी कास्टिंग की वजह

एंटरटेनमेंट डेस्क | विशेष रिपोर्ट (आवाज़ प्लस)।
अगस्त्य नंदा और जयदीप अहलावत स्टारर फिल्म ‘इक्कीस’ 1 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है। रिलीज़ से पहले फिल्म के निर्देशक श्रीराम राघवन ने मीडिया से बातचीत में फिल्म से जुड़े कई अहम पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने फिल्म को दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र (धरमजी) को दी गई श्रद्धांजलि बताया, साथ ही अगस्त्य नंदा को कास्ट करने के फैसले, उनकी मेहनत, रिसर्च और फिल्म की प्रामाणिकता को लेकर खुलकर अपनी बात रखी।

🎬 ‘यह फिल्म ही धरमजी को श्रद्धांजलि है’

दिवंगत अभिनेता धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देने के सवाल पर श्रीराम राघवन ने कहा कि ‘इक्कीस’ खुद ही धरमजी को समर्पित है।
उन्होंने कहा—

“वह पूरी फिल्म में मौजूद हैं और यही सबसे अहम बात है। हमने बस उनकी एक तस्वीर और उसके साथ एक सादी लेकिन अर्थपूर्ण लाइन रखी है। हम इस श्रद्धांजलि को शांत और सम्मानजनक रखना चाहते थे।”

🎭 ‘मुझे बिल्कुल नया लड़का चाहिए था’

अगस्त्य नंदा को कास्ट करने को लेकर श्रीराम राघवन ने बताया कि वह शुरुआत से ही इस रोल के लिए किसी नए चेहरे की तलाश में थे।

“यह रोल एक लड़के के आदमी बनने की कहानी है। मैं ऐसा एक्टर नहीं चाहता था जिसके चेहरे पर पहले से अनुभव झलकता हो। मुझे ऐसा लड़का चाहिए था जो सच में अपनी उम्र का लगे।”

उन्होंने अगस्त्य से पहली मुलाकात को याद करते हुए बताया कि वह कोई पारंपरिक ऑडिशन नहीं था।

“हम बस बैठे और बातें कीं। मेरे लिए वही बातचीत सब कुछ होती है। यह जज करने की नहीं, बल्कि जुड़ने और साथ सोचने की प्रक्रिया होती है।”

🌟 ‘युवा अमिताभ बच्चन की याद दिलाते हैं अगस्त्य’

अगस्त्य नंदा की तुलना करते हुए श्रीराम राघवन ने उन्हें 60 और 70 के दशक के युवा अमिताभ बच्चन से जोड़ा।

“उस दिन उसके चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी और किसी वजह से वह मुझे युवा अमिताभ बच्चन की याद दिला रहा था। वही कच्चापन, वही अनगढ़ सच्चाई। मुझे किसी ट्रेनिंग वाले कलाकार की नहीं, बल्कि ऐसे लड़के की जरूरत थी जो कहानी के साथ-साथ आदमी भी बन सके।”

🎥 दो अलग-अलग दुनिया का संगम

कास्टिंग पर आगे बात करते हुए निर्देशक ने कहा कि फिल्म में दो बिल्कुल अलग दुनिया थीं।

“एक तरफ अगस्त्य और टैंक क्रू के 8–10 युवा कलाकार थे, सभी 25 साल से कम उम्र के। दूसरी तरफ जयदीप अहलावत और धरमजी जैसे अनुभवी कलाकार। इन दोनों दुनियाओं को एक साथ लाना रचनात्मक रूप से बेहद संतोषजनक अनुभव था।”

💪 ‘अगस्त्य ने कभी शॉर्टकट नहीं ढूंढा’

अगस्त्य नंदा की मेहनत की तारीफ करते हुए श्रीराम राघवन ने बताया कि उन्होंने किरदार को पूरी ईमानदारी से जिया।

“अगर उसे टैंक कमांडर बनना था, तो उसे उस जिंदगी को सच में समझना था। कई बार उसे 40–50 बार टैंक के अंदर जाना और बाहर निकलना पड़ा। यह बेहद मुश्किल था, लेकिन उसने कभी शॉर्टकट नहीं ढूंढा।”

उन्होंने बताया कि फिल्म के कुछ सीन इतने वास्तविक थे कि अभिनय और हकीकत के बीच की रेखा मिट जाती है।

 सेना से मिली सराहना

फिल्म की तैयारी और रिसर्च को लेकर निर्देशक ने कहा कि टीम ने पूना हॉर्स में काफी वक्त बिताया और अरुण खेत्रपाल के परिवार व साथियों से विस्तार से बातचीत की।

“हमारे साथ एक ब्रिगेडियर कंसल्टेंट के रूप में थे। क्योंकि यह सच्ची कहानी है, हम घटनाओं के साथ कोई छूट नहीं ले सकते थे। जब सेना के लोगों ने इसे सबसे प्रामाणिक फिल्मों में से एक बताया, तो यह हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी।”

✍️ विशेष रिपोर्ट: अर्जित राज श्रीवास्तव,आवाज़ प्लस

Click to Un-Mute
WhatsApp icon
+919335693356
Contact us!
Phone icon
+919335693356