सिर्फ हमीरपुर में 19 हजार से अधिक प्राइवेट नलकूप हो रहे है संचालित…. हर महीने खर्च हो रही एक करोड़ की बिजली, किसी भी सबमर्सिबल का रजिस्ट्रेशन नहीं

हमीरपुर। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में 19 हजार से अधिक प्राइवेट नलकूप संचालित हैं, जिनसे हर महीने औसतन एक करोड़ रुपये की बिजली हर माह सिंचाई में खर्च करते हैं। हालांकि यह धनराशि शासन वहन करता है। बिजली विभाग का प्राइवेट नलकूपों से करीब 25 करोड़ रुपये दो साल का बकाया पड़ा है। जिसमें अभी तक नाम मात्र की धनराशि मिल आई है। कई किसान सिंचाई के बाद पानी बेचते हैं। सेमी क्रिटिकल क्षेत्रों में भी नलकूपों की संख्या बढ़ रही है। हैरानी का विषय यह कि अभी तक किसी ने भी सबमर्सिबल का रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है।

बताते चले कि हमीरपुर जिला में 19 हजार से अधिक प्राइवेट नलकूप संचालित हैं। इधर शासन ने करीब एक साल से प्राइवेट नलकूपों में खर्च होने वाली बिजली का बिल स्वयं भरने की घोषणा की थी। क्योंकि प्राइवेट नलकूपों के फीडर ज्यादातर अलग कर दिए गए हैं, इन नलकूपों में कम से कम 10 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाती है। बिजली बिल माफ होने के कारण ज्यादातर नलकूप संचालक अपनी खेती की सिंचाई करने के बाद पानी की बिक्री कर लेते हैं। सिर्फ प्राइवेट नलकूपों में कम से कम 12 मिलियन यूनिट बिजली की खपत होती है। जिसमे राठ क्षेत्र में पांच मिलियन यूनिट अकेले खपाई जा रही है।

25 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया
अधीक्षण अभियंता जीसी यादव ने बताया कि एक करोड़ रुपये का बिल प्राइवेट नलकूपों का निकाला जाता है। कभी थोड़ा कम भी हो जाता है। इतना ही नहीं 25 करोड़ रुपये का भुगतान प्राइवेट नलकूप संचालकों पर बकाया है। जिसमें बहुत ही कम धनराशि मिल पाई है। धीरे-धीरे वसूली की जा रही है। अगर 10 घंटे से ज्यादा बिजली प्राइवेट नलकूपों को दी जाए तो यह धनराशि और भी बढ़ सकती है। सिर्फ हमीरपुर में ही कम से कम 70 से अधिक नल नलकूप स्थापित हो रहे हैं। जबकि गोंहाड व सुमेरपुर क्षेत्र सेमी क्रिटिकल जोन में चल रहे हैं। सबसे ज्यादा नलकूपों की संख्या हमीरपुर क्षेत्र में है।

यहां पर एक किसान के पास तीन व चार नलकूप हैं। लोग नलकूप स्थापित कर पानी बेचने का धंधा कर रहे हैं। क्योंकि बिजली का बिल देना नहीं पड़ता है। वहीं कभी कभी बिजली का सामान भी छूट में मिल जाता है। जब सख्त आदेश है कि सेमी क्रिटिकल क्षेत्र में नलकूपों की संख्या कम की जाए। इसके लिए भूगर्भ विभाग से सुझाव भी मांगे थे।

आज तक किसी ने भी सबमर्सिबल का नहीं कराया रजिस्ट्रेशन
ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में सबमर्सिबल बोर कराने के लिए भूगर्भ विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक होता है। मगर जागरूकता के अभाव में आजतक किसी ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है। जिससे शासन को यह जानकारी नहीं हो पा रही है कि लोग ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में सबसर्मिबल के माध्यम से कितना पानी निकाल रहे हैं। भूगर्भ जल विभाग के सहायक अभियंता योगेश कुमार का कहना है कि इसके लिए जागरूक किया जाता है। मगर लोग रजिस्ट्रेशन नहीं कराते हैं। शासन को भी रिपोर्ट भेज दी गई है। ज्यादा जमीन से पानी निकालना चिंता का विषय है। इसे रोका जाना आवश्यक होता है।